पश्चिम बंगाल सरकार सीएए को लेकर दोहरा रवैया अपना रही है। जहाँ एक तरफ़ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पदयात्रा कर के लगातार इस क़ानून के विरोध में रैलियाँ कर रही हैं, सीएए के समर्थकों को रोकने के लिए कर्फ्यू लगा दिया जा रहा है। बंगाल पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 144 लगा कर रविवार (जनवरी 12, 2020) को भाजपा को सीएए के समर्थन में रैलियाँ करने की अनुमति नहीं दी। इतना ही नहीं, कई भाजपा नेताओं के ख़िलाफ़ मामला भी दर्ज कर लिया गया। सीएए के समर्थन में नॉर्थ बंगाल में 2 रैलियाँ होनी थीं।
नॉर्थ बंगाल में अपनी कमज़ोर स्थिति को देखते हुए तृणमूल कॉन्ग्रेस ने पूरी ताक़त झोंक दी है। ये वही क्षेत्र है, जहाँ भाजपा ने तृणमूल को कई लोकसभा सीटों पर 2019 चुनाव में पटखनी दी। ममता बनर्जी की पार्टी ने अधिकतर सीटें साउथ बंगाल में जीती। जनवरी 12 को बंगाल भाजपा के महासचिव सायंतन बासु और कूच विहार यूनिट की पार्टी अध्यक्ष मालती रे को सीएए के समर्थन में आयोजित ‘अभिनन्दन यात्रा’ में भाग लेने से रोक दिया गया। पुलिस ने बहाना बनाया कि हिंसा की आशंका से कर्फ्यू लगा दिया गया है।
भाजपा ने तृणमूल सरकार की इन पैंतरेबाजियों के ख़िलाफ़ कोलकाता हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। भाजपा का आरोप है कि ममता बनर्जी राज्य में भाजपा के बढ़ते प्रभाव से डर गई हैं और वो जनता को सीएए के समर्थन में रैली करने से रोक रही हैं। जिस रैली में जाने से भाजपा नेताओं को रोका गया, वहाँ पहले से ही बड़ी भीड़ जुट गई थी और मंच सज गया था। किसी ने सम्बोधन भी नहीं किया था। जब भाजपा नेताओं ने किसी अन्य स्थल पर बैठक की तो उनके ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया।
तृणमूल कॉन्ग्रेस ने इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट बयान देने की बजाय आरोप-प्रत्यारोप की रणनीति अपनाई है। टीएमसी ने कहा कि भाजपा को पहले राज्य में पार्टी के अध्यक्ष दिलीप घोष को आक्रामक बयान देने से रोकना चाहिए। तृणमूल सरकार का दावा है कि क़ानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए ये सब किया गया। तृणमूल कॉन्ग्रेस ने दावा किया कि भाजपा को कभी भी बैठक व रैलियाँ करने से नहीं रोका गया।
Bengal police enforced prohibitory orders under Section 144 of the CrPC to stop BJP from holding two back-to-back rallies since Sunday.
— Hindustan Times (@htTweets) January 14, 2020
(reports @tanmaynews)https://t.co/oDZrLA7taL
न सिर्फ़ भाजपा बल्कि वामपंथी पार्टियों को भी बंगाल में बैठक व रैलियाँ करने से रोका जा रहा है। सीपीएम नेता सूजन चक्रवर्ती ने दावा किया कि उनकी पार्टी के कई बैठकों को टालने के लिए भी पश्चिम बंगाल सरकार ने कई बार धारा-144 का सहारा लिया है।