Monday, December 23, 2024
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‘शबाना आजमी, जावेद अख्तर और नसीरुद्दीन शाह… ये सब टुकड़े-टुकड़े गैंग के स्लीपर सेल’ : MP के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा

"इन लोगों को राजस्थान में कन्हैया लाल की हत्या नहीं दिखाई देती है। झारखंड में हमारी बेटी की जिंदा जलाकर हत्या की गई... इस पर इनकी गैंग कुछ नहीं बोली।”

मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने लिबरल गैंग पर निशाना साधा। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने शबाना आजमी, जावेद अख्तर और नसीरुद्दीन शाह तीनों को ही टुकड़े-टुकड़े गैंग का स्लीपर सेल कह दिया।

बॉलीवुड में काम करने वाली शबाना आजमी ने हाल ही में बिलकिस बानो गैंगरेप के दोषियों की रिहाई को लेकर नराजगी जाहीर की थी। इस पर जब मंत्री नरोत्तम मिश्रा से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, “शबाना आजमी, लेखक जावेद अख्तर और नसीरुद्दीन शाह टुकड़े-टुकड़े गैंग के स्लीपर सेल हैं।”

गुरुवार (2 सितंबर 2022) की प्रेस कॉन्फ्रेंस में एमपी के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा, “शबाना आजमी को बिलकिस बानो का केस तो दिखाई देता है, लेकिन राजस्थान में कन्हैया लाल की हत्या नहीं दिखाई देती। इस पर शबाना आजमी कुछ नहीं बोलीं। झारखंड में हमारी बेटी की जिंदा जलाकर हत्या की गई। इस पर इनकी गैंग कुछ नहीं बोली।”

इस दौरान उन्होंने कहा कि टुकड़े-टुकड़े गैंग को और अवॉर्ड वापसी गैंग को यह सब दिखाई नहीं देता है। मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने यह भी कहा कि बीजेपी शासित राज्य में कुछ हो जाए तभी ये गैंग जागता है। तभी इन सभी को देश में रहने में डर लगने लगेगा। यह सभी लोग तब गला फाड़-फाड़ कर चिल्लाने लगेंगे। अवॉर्ड वापसी गैंग भी सक्रिय हो जाएगी।

क्या है बिलकिस बानो केस

वर्ष 2002 में गोधरा में ट्रेन के भीतर हिंदुओं को जला कर मारा गया था। इसके बाद गुजरात दंगे हुए। बिलकिस बानो केस इसी का एक चर्चित मामला है। आरोप के अनुसार गुजरात के दाहोद जिले के राधिकपुर गाँव में रहने वाली बिलकिस बानो के घर अनुमानतः 20 लोगों ने हमला कर दिया था।

आरोप है उन हमलावरों ने बिलकिस, उनकी माँ और तीन अन्य महिलाओं के साथ बलात्कार किया। इसके अलावा यह भी आरोप है कि हमलावरों ने बिलकिस के खानदान के कुल 8 सदस्यों हत्या की थी, जबकि 6 लोग लापता हो गए थे। गौर करने वाली बात है कि हमला करने वालों ने 3 साल की एक मासूम को जिंदा छोड़ दिया था।

हमले के बाद बिलकिस बेहोश हो गई थीं। होश में आने के बाद उन्होंने एक आदिवासी महिला से मदद ली थी। इसके बाद वह एक होमगार्ड से मिली थीं, जो उन्हें लिमखेड़ा पुलिस स्टेशन लेकर गया था। इस मामले में सीबीआई ने बताया तथ्यों को दबाया गया और शिकायत का एक विकृत तथा छोटा संस्करण लिखा गया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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