कॉन्ग्रेस और राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी (राकांपा) ने महाराष्ट्र के चुनावों में अपनी हार स्वीकार कर ली है। राकांपा के प्रमुख, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और यूपीए में केंद्रीय कृषि मंत्री रह चुके शरद पवार ने अपने-अपने क्षेत्रों में जीत हासिल करने वाले राकांपा नेताओं को बधाई देते हुए कहा कि उनकी पार्टी और कॉन्ग्रेस के गठबंधन ने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया है। साथ ही पार्टी छोड़ कर भाजपा कैम्प का रुख करने वालों पर तंज़ कसते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी से टूट कर उधर जाने वालों को वहाँ भी स्वीकारा नहीं जा रहा है। 80 साल के पवार महाराष्ट्र में कॉन्ग्रेस के संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के सबसे वरिष्ठ नेता हैं।
Congress and NCP workers worked together for the campaign. People have not liked the arrogance of power: @PawarSpeaks, NCP President briefs media. | #Oct24WithTimesNow
— TIMES NOW (@TimesNow) October 24, 2019
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एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान पवार ने कहा, “विपक्ष ने बहुत मेहनत की, और कॉन्ग्रेस, एनसीपी और अन्य सहयोगियों के सभी सदस्यों ने अपना सर्वश्रेष्ठ समर्पित किया और नतीजा लाकर दिया। मैं उन सभी को धन्यवाद देता हूँ। पावर आती है, पावर जाती है लेकिन कॉज के प्रति डटे रहना ज़रूरी होता है और मैं सभी लोगों को उनके द्वारा बरसाए गए प्रेम के लिए आभार प्रकट करता हूँ।”
इसके बाद उन्होंने आगे जोड़ा, “एक ज़रूरी चीज़ जो देखने लायक है वह ये है कि जो लोग हमें छोड़ कर गए, उन्हें (वहाँ) स्वीकार नहीं किया जा रहा है। दल बदल उनके काम नहीं आई जो छोड़ कर गए थे।”
गौरतलब है कि चुनाव प्रचार के अंतिम दौर में भी सतारा की एक रैली में शरद पवार ने पार्टी में हुई दलबदल का ज़िक्र किया था। उस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस आरोप कि वे (पवार) लोक सभा चुनाव मोदी के डर से नहीं लड़े, पवार ने यह माना था कि अपने पारम्परिक गढ़ सतारा में उन्होंने सही उम्मीदवार नहीं उतारा था। उनके निशाने पर चुनाव जीतने के बाद पार्टी छोड़ भाजपा में शामिल हो जाने वाले उदयराज भोंसले रहे थे।
पवार ने यह भी बताया कि उनकी पार्टी जल्दी ही चुनावों के बारे में कुछ चीज़ों पर विचार विमर्श करने के लिए एक बैठक का आयोजन करेगी और उसमें आगे की रणनीति और भविष्य की कार्ययोजना तय की जाएगी। दोपहर 2 बजे के समय तक, जब पवार की यह कॉन्फ़्रेंस हो रही थी, तब तक महाराष्ट्र से आ रहे रुझानों के मुताबिक भाजपा और शिव सेना का गठबंधन 162 सीटों पर आगे चल रहा था, जबकि कॉन्ग्रेस और एनसीपी के यूपीए ने 99 का आँकड़ा छू लिया था। अन्य 27 सीटों पर बढ़त लेते दिख रहे थे। 288 सीटों की विधानसभा में बहुमत का आँकड़ा 145 का है।