Sunday, December 22, 2024
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शरद पवार के बुरे दिन: आते ही रैली से उठकर जाने लगे लोग

पवार ने मोदी के उस हमले पर जवाबी हमला बोला जो प्रधानमंत्री ने शरद पवार के नेशनल कांफ्रेंस से हाथ मिला लेने पर किया था। उन्होंने मोदी को यह याद दिलाया कि अतीत में भाजपा भी फारूख अब्दुल्ला से हाथ मिला चुकी है।

जिस महाराष्ट्र में शरद पवार की तूती बोलती थी, कल वहाँ वे अधभरे मैदानों में रैलियाँ संबोधित कर रहे थे। उल्हासनगर में राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी के सुप्रीमो शरद पवार मंगलवार को एक चुनावी रैली को आधे ही भरे मैदान में संबोधित करते पाए गए।

पहुँचे थे 3 घन्टे देरी से, जनता ने कहा ‘टाटा’

दरअसल शरद पवार को रैली के लिए शाम 6 बजे पहुँचना था, और लोग बड़ी संख्या में उन्हें सुनने के लिए एकत्र भी हुए थे। भीड़ में एक बड़ी संख्या स्थानीय लोगों और कामगारों की भी थी। पर पवार सभास्थल पर 3 घंटे देरी से, यानी रात के 9 बजे, पहुँचे। तब तक जनता का धैर्य चुक गया था और लोग उठ कर जा चुके थे।

यहाँ तक कि पवार के पहुँचने के बाद भी लोगों के जाने का सिलसिला नहीं थमा। उनके सामने से भी उठ-उठकर लोग बाहर जाते रहे। पर इन सबसे अविचलित महाराष्ट्र के क्षत्रप ने अपना भाषण जारी रखा।

मोदी पर हमला

पवार ने मोदी के उस हमले पर जवाबी हमला बोला जो प्रधानमंत्री ने शरद पवार के नेशनल कांफ्रेंस से हाथ मिला लेने पर किया था। उन्होंने मोदी को यह याद दिलाया कि अतीत में भाजपा भी फारूख अब्दुल्ला से हाथ मिला चुकी है।

पवार और मोदी में परस्पर हमले का यह सिलसिला तब शुरू हुआ था जब प्रधानमंत्री ने वर्धा की एक चुनावी सभा में 1 अप्रैल को पवार के आगामी लोकसभा चुनाव न लड़ने पर चुटकी ली थी। मोदी ने कहा था कि पवार ने यह निर्णय चुनावी मुश्किलों को देखते हुए लिया था। उन्होंने यह भी कहा था कि राकांपा आन्तरिक संघर्ष में फँसी है और पवार के हाथों से पार्टी की कमान फिसलती जा रही है।

महाराष्ट्र में कॉन्ग्रेस-राकांपा गठबंधन के लिए पवार का चुनावों में न उतरना बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है। इसके अलावा संप्रग गठबंधन को एक और झटका तब लगा था जब महाराष्ट्र विधानसभा के नेता विपक्ष राधाकृष्ण विखे पाटिल ने चुनाव प्रचार करने से मना कर दिया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि पवार ने उनके परिवार का अपमान किया था। इसके अलावा उनके बेटे पहले ही भाजपा में शामिल हो चुके हैं।

सेना-भाजपा ने निपटाए झगड़े  

महाराष्ट्र कुछ समय पहले तक भाजपा-नीत राजग के लिए सबसे बड़ा खतरा माना जा रहा था। मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस द्वारा विकास कार्यों में कोताही न बरतने के बावजूद आशंका जताई जा रही थी कि शिवसेना-भाजपा की दरार और शनि शिगनापुर के अधिग्रहण जैसे मसलों से भाजपा का कोर हिन्दुत्ववादी वोटर बंट या उदासीन हो सकता है। पर चुनाव आते-आते 2014 में क्रमशः 23 और 18 सीटें जीतने वाली भाजपा और शिवसेना ने सारे मसले निपटा कर 25-23 के फार्मूले से प्रदेश की 48 सीटों पर लड़ने की घोषणा कर दी।

महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव 4 चरणों में होंगे और तारीखें 11, 18, 23, और 29 अप्रैल की होंगी। चुनाव आयोग की योजना 23 मई को मतगणना कर उसी दिन नतीजों की घोषणा की है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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