जेएनयू एक्टिविस्ट शेहला रशीद के ‘बायोलॉजिकल पिता’ अब्दुल रशीद शोरा, जिन्होंने हाल ही में आरोप लगाया था कि उनकी बेटी भारत विरोधी ताकतों के साथ मिलीभगत कर रही है और इसके लिए पैसे लेती है, को कश्मीरी व्यवसायी और राजनीतिज्ञ फिरोज पीरजादा द्वारा 10 करोड़ रुपए का मानहानि नोटिस भेजा गया है।
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के डीजीपी को लिखे पत्र में शेहला रशीद के पिता अब्दुल रशीद शोरा ने दावा किया था कि शेहला ने कश्मीर केंद्रित राजनीति में शामिल होने के लिए ‘कुख्यात लोगों’ से 3 करोड़ रुपए नकद लिए हैं। उन्होंने माँग की थी कि फिरोज पीरजादा, जहूर वटाली (एनआईए द्वारा गिरफ्तार) और रशीद इंजीनियर के बीच के ‘रहस्यमय वित्तीय डील’ की जाँच की जाए।
समाचार पत्र अमर उजाला की एक रिपोर्ट के अनुसार, पीरजादा की ओर से भेजे गए चार पेज के नोटिस में कहा गया है कि अब्दुल रशीद शोरा के आरोपों से उनके मुवक्किल (फिरोज पीरजादा) की प्रतिष्ठा को व्यापक नुकसान पहुँचा है। नोटिस में कहा गया है कि उन पर जो भी आरोप लगाए गए वह पूरी तरह आधारहीन हैं।
इस नोटिस के अनुसार, फिरोज पीरजादा ने जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट पार्टी (जेकेपीएम) के अध्यक्ष पद से 30 नवंबर को व्यक्तिगत कारणों से इस्तीफा दे दिया था। इसके अलावा बिजनेसमैन जहूर वटाली को वह बिल्कुल नहीं जानते और कभी मिले भी नहीं, जबकि इंजीनियर रशीद से उनकी दो बार मुलाकात हुई है।
पीरजादा की ओर से भेजे गए मानहानि के नोटिस में कहा गया है कि फिरोज पीरजादा ने शेहला रशीद को रूपए नहीं दिए। नोटिस में कहा गया है कि यदि सात दिन के अंदर 10 करोड़ रूपए का भुगतान नहीं किया जाता है तो वह कानूनी कार्रवाई के लिए बाध्य होंगे।
उल्लेखनीय है कि ज़हूर अहमद शाह वटाली और रशीद इंजीनियर, दोनों को एनआईए ने कथित रूप से देशद्रोही गतिविधियों और आतंकी फंडिंग के आरोप में गिरफ्तार किया है। शेहला रशीद के पिता अब्दुल शोरा ने आरोप लगाया था कि जहूर अहमद शाह वटाली और रशीद इंजीनियर ने पूर्व आईएएस अधिकारी शाह फैसल के साथ जेकेपीएम शुरू करने के लिए शेहला रशीद को 3 करोड़ रुपए का भुगतान किया था। उन्होंने अपनी जान का खतरा बताते हुए डीजीपी से सुरक्षा की गुहार भी लगाई थी। हालाँकि, शेहला ने पिता के सभी आरोपों से इनकार किया है।
शेहला के पिता ने अफसोस जताते हुए कहा था कि उसे क्या जरूरत थी कि वह पूर्व विधायक इंजीनियर रशीद (हवाला के लेनदेन के चलते जेल में बंद) का लेक्चर जेएनयू में करवाती जबकि यूनिवर्सिटी का यह अंदरूनी मामला था।