पंजाब कॉन्ग्रेस में चल रहे संकट को लेकर महाराष्ट्र में कॉन्ग्रेस की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने उस पर निशाना साधा है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में लिखा है कि पंजाब में जो कुछ हो रहा है उससे साफ है कि कॉन्ग्रेस ‘बीमार’ हो गई है। पंजाब, उत्तर प्रदेश और गोवा में कॉन्ग्रेस के कई वफादार नेता पार्टी छोड़ चुके हैं। शिवसेना ने पूछा है कि इस वक्त कॉन्ग्रेस अध्यक्ष कहाँ हैं? पंजाब में पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कॉन्ग्रेस के खिलाफ बगावत कर दी है। वह अगले कुछ दिनों में अपनी नई पार्टी बनाने वाले हैं।
शिवसेना ने अपने इस संपादकीय शीर्षक का नाम ‘कॉन्ग्रेस का टॉनिक’ दिया है।
‘सामना’ में लिखा है, “कॉन्ग्रेस पार्टी बीमार है। इसके लिए इलाज भी चल रहा है, परंतु यहाँ गलत है क्या? इसका विचार किया जाना चाहिए। कॉन्ग्रेस पार्टी उफान मारकर उठे, मैदान में उतरे, राजनीति में नई चेतना की बहार लाए, ऐसे लोगों की भावना है। इसके लिए कॉन्ग्रेस को पूर्णकालीन अध्यक्ष ही चाहिए। दिमाग नहीं होगा तो शरीर का क्या लाभ? सिद्धू, अमरिंदर जैसों की खुशामद करने में कोई लाभ नहीं है।”
आगे लिखा कि राहुल गाँधी कॉन्ग्रेस के अंदर बुजुर्गों और युवाओं को साथ ले चलने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन कुछ बुजुर्ग नेताओं को यह नहीं पता है कि नए लोग किस तरह से काम करते हैं। वे लोग आलाकमान की आलोचना शुरू कर देते हैं। यह तय है कि इन्हीं लोगों ने भाजपा के साथ गुप्त समझौता किया हुआ है।
इसमें कहा गया कि कॉन्ग्रेस में कुई युवा, पूर्णकालिक अध्यक्ष की माँग कर रहे हैं। उनकी माँग गलत नहीं है। क्योंकि जैसे बिना सिर वाले शरीर का कोई फायदा नहीं होता वैसे ही बिना अध्यक्ष वाली पार्टी भी किसी का मुकाबला कैसे कर सकती है। इस सवाल का गाँधी परिवार को देना चाहिए कि उनमें से कौन है जो नेतृत्व के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि कॉन्ग्रेस पार्टी को स्थायी पार्टी अध्यक्ष पर बने संशय को खत्म करना चाहिए।
सामना में कहा गया कि कॉन्ग्रेस ने पंजाब में एक दलित को मुख्यमंत्री बनाकर बहुत बड़ा कदम उठाया था। लेकिन, पार्टी के ही नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने राहुल गाँधी के लिए मुसीबत खड़ी कर दी। उन्होंने कहा कि पार्टी को ऐसे व्यक्ति को न तो ज्यादा तवज्जो देनी चाहिए और न ही भरोसा जताना चाहिए, जिसने हाल ही में पार्टी ज्वाइन की हो। उन्होंने कहा कि पार्टी में स्थायी अध्यक्ष होना जरूरी है, जो ऐसे बड़बोले नेताओं के मुँह को बंद करा सके।
गौरतलब है कि पंजाब में कॉन्ग्रेस के लिए विचित्र एवं संकटपूर्ण स्थिति पैदा हो गई है। दरअसल, चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाने के लिए उसने कैप्टन से इस्तीफा दिलवाया लेकिन इसके कुछ दिनों बाद प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने अपना त्यागपत्र दे दिया। सियासी गलियारों में ऐसी चर्चा है कि कैप्टन को सत्ता से बाहर निकालने में सिद्धू की अहम भूमिका रही है। सीएम पद से इस्तीफा दिलाकर पार्टी आलाकमान ने जिस तरह से अमरिंदर से पल्ला झाड़ा, इसे कैप्टन अपने लिए अपमान मान रहे हैं। उन्होंने साफ कर दिया है कि अब वह कॉन्ग्रेस में नहीं रहेंगे बल्कि अपनी पार्टी बनाएँगे।