Sunday, November 17, 2024
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प्रियंका चतुर्वेदी को नहीं पता टूर्नामेंट और द्विपक्षीय सीरीज के बीच का अंतर: गणित ही नहीं, क्रिकेट और अंग्रेजी में भी तंग हैं उद्धव की पार्टी की प्रवक्ता के हाथ

अधिकांश समय पर ऐसी स्थितियों में एक टीम दूसरे देश जाकर खेलती है। जबकि विश्वकप का आयोजन ICC (अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल) करती है। इसके अंतर्गत होने वाले मैच खेलकर टीमें टूर्नामेंट में आगे बढ़ती हैं।

शिवसेना (उद्धव गुट) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने केन्द्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के एक बयान पर ट्वीट करते हुए अपनी अल्पज्ञानता जाहिर की है। उन्होंने यह ट्वीट भारत-पाकिस्तान के बीच क्रिकेट को लेकर किया जिसके बाद उनके क्रिकेट और अंग्रेजी के ज्ञान को लेकर लोगों ने काफी मजाक उड़ाया।

अनुराग ठाकुर ने कश्मीर के कोकेरनाग में हुए आतंकी हमले के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच तब तक द्विपक्षीय क्रिकेट नहीं खेला जाएगा जब तक कि पाकिस्तान आतंकवाद और सीमा पार से हमले करना बंद नहीं करता, मुझे लगता है देश के लोगों की भावनाएँ भी यही हैं। इस बयान को समाचार एजेंसी ANI ने अपने ट्विटर अकाउंट से पोस्ट किया।

प्रियंका चतुर्वेदी ने अपनेआप को भारत-पाकिस्तान और क्रिकेट मामलों की ज्ञानी सिद्ध करने के लिए इस बयान पर तुरंत ही हास्यास्पद प्रतिक्रिया दी। प्रियंका चतुर्वेदी ने लिखा, “क्या दोनों टीमों (भारत और पाकिस्तान) के बीच वर्ल्ड कप के लिए अहमदाबाद में प्रस्तावित मैच को लोगों की भावनाओं का ख्याल रखते हुए द्विपक्षीय मानकर खारिज कर दिया जा सकता है। उन्हें मंत्री के तौर पर इस बात की पुष्टि करनी चाहिए, BCCI (बोर्ड ऑफ़ क्रिकेट कंट्रोल) को भी इस मामले में बयान देना चाहिए।

प्रियंका का ट्वीट

प्रियंका के इस ट्वीट से ही उनकी विद्वता और अंग्रेजी तथा क्रिकेट के ज्ञान पर प्रश्न उठने लगे। गौरतलब है कि क्रिकेट विश्वकप अगले माह (अक्टूबर) से भारत में प्रस्तावित है। इसी के अंतर्गत 14 अक्टूबर को अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में भारत और पाकिस्तान के बीच भी मैच होगा क्योंकि दोनों को एक ही ग्रुप में रखा गया है।

यह मैच एक टूर्नामेंट के अंतर्गत हो रहा है, इसलिए इसे द्विपक्षीय सीरीज नहीं कहा जा सकता। द्विपक्षीय सीरीज उसे कहते जब हैं जब दो देशों की टीमें अपने अपने बोर्ड द्वारा निर्धारित पहले से निश्चित किए गए स्थान पर आपस में मैच खेलती हैं। इसे द्विपक्षीय सीरिज कहा जाता है।

अधिकांश समय पर ऐसी स्थितियों में एक टीम दूसरे देश जाकर खेलती है। जबकि विश्वकप का आयोजन ICC (अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल) करती है। इसके अंतर्गत होने वाले मैच खेलकर टीमें टूर्नामेंट में आगे बढ़ती हैं। ऐसे में जब टूर्नामेंट और द्विपक्षीय सीरीज में मूलभूत अंतर है तो भला विश्वकप के मैच को द्विपक्षीय मैच कैसे माना जा सकता है। प्रियंका की इसी गलती को लेकर उनका मजाक उड़ाते हुए एक ट्विटर यूजर ने उन्हें ऑक्सफ़ोर्ड डिक्शनरी देखने की सलाह दी कि आखिर ‘बाईलेटरल’ शब्द का क्या अर्थ होता है।

प्रियंका चतुर्वेदी को जब यह सलाह दी गई कि वह सरकार और उसके मंत्रियों पर बयानबाजी करने के लिए तथ्यों का उपयोग करें तो वह और भड़क गईं। इस बार उन्होंने BCCI के सचिव जय शाह के एक पुराने बयान का हवाला दिया और दूसरे मुद्दे की बात करने की लगीं।

अपने दावे को बचाने की कोशिश करती प्रियंका

प्रियंका ने दावा किया कि अनुराग ठाकुर ने यह भी दावा किया था कि भारत और पाकिस्तान के बीच आखिरी बार द्विपक्षीय सीरीज 2012-13 में हुई थी और तब से दोनों टीमों के बीच मात्र एशिया कप या फिर विश्व ICC टूर्नामेंट के मुकाबलों में ही मैच हुए हैं। प्रियंका ने इस दावे का खंडन करते हुए कहा कि भारत ने आखिरी बार पाकिस्तान का दौरा वर्ष 2006 में किया था।

इसके बाद राज्यसभा सांसद ने BCCI सचिव जय शाह द्वारा अगस्त में दिए गए एक बयान का हवाला दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत एशिया कप के लिए पाकिस्तान का दौरा नहीं करेगा क्योंकि दोनों देशों के बीच रिश्ते सामान्य नहीं हैं। भारत ने एशिया कप का हिस्सा बनने के लिए तभी हामी भरी थी कि भारत के मैच श्रीलंका में होंगे।

इन सब बातों को जोड़-घटा कर प्रियंका यह स्पष्ट नहीं कर सकीं कि वह कहना क्या चाहती हैं। हालाँकि, यह बात और है कि वह कई बातें एक साथ रखती गईं जिससे कुछ भी सिद्ध नहीं किया जा सकता।

इन सब बातों से इतर अगर भारत पाकिस्तान के साथ विश्व कप के लिए मैच नहीं खेलना चाहता है तो वह यह कर सकता है लेकिन इससे भारतीय टीम को पॉइंट्स का भी नुकसान होगा और पाकिस्तान को विजेता घोषित कर दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त, ICC इस मामले में भारतीय टीम पर जुर्माना भी लगा सकती है।

इन्हीं कारणों से ही भारत ICC द्वारा आयोजित किए जाने वाले टूर्नामेंट में पाकिस्तान से भिड़ता आया है जबकि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय मैच सीरीज लम्बे समय से बंद हैं। खैर इन सब बातों से प्रियंका चतुर्वेदी को कोई फर्क नहीं पड़ता है और वह ना ही अपनी भूल सुधारने को राजी हुई और ना ही यह मानने को राजी हुईं कि उन्होंने समझने में गलती की है।

प्रियंका चतुर्वेदी का गणित से बैर

अंग्रेजी से अपने बैर के अलावा प्रियंका चतुर्वेदी का गणित से भी कुछ ख़ास अच्छा रिश्ता नहीं है। उन्होंने कई बार इसका प्रदर्शन भी किया है। प्रियंका ने कोरोना महामारी को देखते हुए किए गए लॉकडाउन के उपरान्त श्रमिकों के घर जाने को लेकर कहा था कि मोदी सरकार ने उनके लिए विशेष ट्रेन चलाकर अतिरिक्त कमाई की है।

प्रियंका का दावा था कि इन ट्रेनों के संचालन में रेलवे ने 2,142 करोड़ रुपए खर्च किए और 429 करोड़ रुपए उसको राजस्व प्राप्ति हुई। प्रियंका ने समझा कि रेलवे द्वारा प्राप्त किया गया राजस्व उसका लाभ है। वह यह अंतर नहीं कर पाई कि राजस्व और लाभ में बड़ा अंतर होता है। असल में रेलवे को इन ट्रेनों से 1713 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।

इसके अलावा प्रियंका ने एक और मौके पर औद्योगिक विकास सूचकांक (IIP) के जून 2014 में -23.4 से जुलाई में -20.9 होने को अच्छे दिनों की विफलता घोषित किया था जबकि असल में यह बढ़त है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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