उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार के गुरुवार (सितंबर 19, 2019) को ढाई साल पूरे हो गए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कामकाज की बदौलत उनकी सरकार ने जनता का विश्वास हासिल किया है। अब लोगों का नजरिया बदला है।
बता दें कि, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के घंटों तक काम करते रहने और देर रात तक मीटिंग लेने की वजह से नौकरशाहों को हर वक्त अलर्ट रहना पड़ रहा है। इस नए वर्क कल्चर और जवाबदेही की वजह से कई आरामतलब अधिकारियों में नाराजगी भी है। सीएम योगी आदित्यनाथ की करीबी टीम और सीएम ऑफिस में काम करने वालों को तो और भी ज्यादा काम करना पड़ता है। उन्हें मुख्यमंत्री के साथ सुबह से लेकर देर रात तक काम करना पड़ता है।
दरअसल देश की बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के कुछ ही समय बाद योगी आदित्यनाथ को यह समझ आ गया था कि फाइलें निपटाने और जरूरतमंद लोगों से मिलने की जगह ज्यादातर अधिकारियों ने एक के बाद दूसरी मीटिंग में व्यस्त रहने की आदत बना ली है। मोटे तौर पर यह दिन काटने, कड़े निर्णय लेने से बचने और भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों की पहचान करने से बचने का तरीका था।
न्यूज़ 18 से बातचीत में सीएम योगी ने कहा कि उन्हें जल्द ही इस बात का अहसास हो गया कि अधिकारियों को मीटिंग के लिए बुलाए जाने पर मामला और बिगड़ जाता था। सीएम के साथ मीटिंग की तैयारी का बहाना बनाकर पूरा दिन बर्बाद कर देना उनकी आदत बन चुकी थी।
इसके अलवा सीएम की समीक्षा बैठकों में भी ऊपर से नीचे तक के सभी अधिकारियों के साथ लाव-लश्कर भी आते थे, जिसकी वजह से पूरे डिपार्टमेंट का काम ही रुक जाता था। इस पर सीएम योगी ने कहा, “अब मैंने आदेश जारी कर दिए हैं कि सिर्फ प्रिंसिपल सेक्रेटरी या डिपार्टमेंट के हेड, जिन्हें भी बुलाया गया है, वे ही मीटिंग के लिए आएँगे। सभी साथ में नहीं आएँगे। ऐसा करने से अब प्रिंसिपल सेक्रेटरी खुद पूरी तैयारी के साथ आते हैं, बजाए इसके कि वो छोटे से सवाल पर भी अपने डिप्टी की तरफ मुड़कर देखें। इससे दूसरे अधिकारियों को दिन के रेगुलर काम पूरे करने का मौका भी मिल जाता है।”
सीएम योगी द्वारा लाए गए इन परिवर्तनों ने राज्य के अधिकारियों में परिणाम आधारित वर्क कल्चर को बढ़ावा दिया है। इसकी वजह से अधिकारियों के आराम करने की आदत छूट गई है। सीएम के दफ्तर में तैनात एक प्रमुख नौकरशाह ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, “योगी जी अत्यधिक काम करने वाले व्यक्ति हैं। वो करीब 17 घंटे प्रतिदिन अपने दफ्तर संबंधी जिम्मेदारियों को निभाते हुए बिताते हैं। वो ये तय करते हैं कि नौकरशाह भी निर्धारित लक्ष्य को हासिल करने के लिए पूरा समय दे रहे हैं या नहीं। हमें अपने सहकर्मियों से ज्यादा काम करना पड़ता है, क्योंकि सीएम सुबह से लेकर देर रात तक काम करते हैं और हमें भी उनके साथ काम करना पड़ता है।”