बिहार में नीतीश कुमार और लालू यादव की पार्टियाँ सरकार चला रही हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं और उप-मुख्यमंत्री हैं लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव। तेजस्वी यादव की पार्टी RJD के एक विधायक हैं सुधाकर सिंह, वो पहले मंत्री भी थे। अब नीतीश कुमार के घनघोर विरोधी हैं। नीतीश कुमार को घेरते रहते हैं। इस बार नीतीश कुमार को घेरने के चक्कर में उन्होंने अधिकारियों को निशाना बनाने की तरकीब बता दी। सुधाकर सिंह ने किसानों के एक प्रदर्शन में कहा कि किसान लोग अपनी बात मनवाने के लिए सिर न फोड़ें, बल्कि अधिकारिकों के ऊपर थूक दें।
सुधाकर सिंह के बारे में बता दें कि वो बिहार में राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे हैं।
अधिकारियों से निपटने का बताया तरीका
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सुधाकर सिंह ने कहा, “मेरे कहने से मुझे भी वोट मत दीजिएगा, जब तक हम आपका काम नहीं करें। लाठी डंडा से सिर फूट जाएगा। मुकदमा हो जाएगा। मुँह पर थूक दीजिए अधिकारी का। कलेक्टर के मुँह पर 100 आदमी थूक दीजिएगा तो कलेक्टर कौन सी दफ़ा में जेल भेजेगा।” सुधाकर सिंह कैमूर में ‘किसान महापंचायत’ में पहुँचे थे और किसानों को संबोधित कर रहे थे।
सुधाकर सिंह ने आगे कहा, “आप कलेक्टर को फटा हुआ जूता का माला पहनाइए। जूता का माला पहनाने पर कौन दफ़ा लगेगा। सिर फोड़िएगा तो 302 का मुकदमा लगेगा, लेकिन थूक दीजिएगा। चौक चौराहे पर सब्जी खरीदने आ रहे अधिकारी को अंगूठा हिलाकर दिखाइए। इस पर भी कोई दफ़ा नहीं लगेगा।”
मंच पर मौजूद थे राकेश टिकैत
सुधाकर सिंह जिस समय किसानों को ये सलाह दे रहे थे, उस समय मंच पर राकेश टिकैत भी मौजूद थे। सुधाकर सिंह ने जब अधिकारियों को सबक सिखाने का तरीका बताया, तो सुधाकर सिंह का जयकारा भी लगा। जानकारी के मुताबिक, कैमूर में ‘भारत माला परियोजना‘ के तहत बनारस-कोलकाता एक्सप्रेस वे बनाने को लेकर केंद्र सरकार किसानों का जमीन ले रही है। किसानों का आरोप है कि उन्हें उचित मूल्य नहीं मिल रहा है।
नीतीश कुमार को अक्सर निशाना बनाते रहे हैं सुधाकर सिंह
बता दें कि आरजेडी की तरफ से बार-बार चेतावनी देने के बावजूद विधायक सुधाकर सिंह मुख्यमंत्री नीतीश के खिलाफ आग उगलते रहे हैं। जनवरी माह में उन्होंने सीएम नीतीश कुमार को झूठा करार दे दिया था। खगड़िया में सुधाकर सिंह ने कहा था कि मुख्यमंत्री कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं। उन्होंने कहा कि सरकार कहती है बिहार में व्यापक बदलाव आया है। मैं पूछता हूँ कि बदलाव कहाँ है? लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि जो कहा गया है वह वास्तव में हुआ है।