Sunday, November 17, 2024
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चीनी कब्जे को लेकर स्वामी ने बोला झूठ, बीजेपी सांसद ने कहा- मेरी बात को तोड़-मरोड़ कर किया पेश, मोदी सरकार में नहीं हुई कोई घुसपैठ

सुब्रमण्यम स्वामी का यह दावा ज़्यादा देर नहीं टिका। तापिर गाओ ने स्वामी के दावे का खंडन करते हुए कहा है कि सुब्रमण्यम स्वामी उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं, उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं कहा है। 

सुब्रमण्यम स्वामी पिछले काफी समय से मोदी सरकार पर हमलावर हैं। हाल ही में ममता बनर्जी से मुलाकात के बाद भी उन्होने बीजेपी को इकॉनमी, सीमा सुरक्षा सहित लगभग सभी मुद्दों पर घेरने की कोशिश की। अपने इसी प्रयास में इस बार चीन के मुद्दे पर PM मोदी को घेरने के लिए अरुणाचल प्रदेश के भाजपा सांसद तापिर गाओ को गलत तरीके से कोट करने से भी नहीं चुके।

दरअसल, सुब्रमण्यम स्वामी ने गुरुवार (2 दिसंबर, 2021) को अरुणाचल प्रदेश में चीनी घुसपैठ का जोर-शोर से दावा किया। स्वामी ने ट्वीट करते हुए लिखा, “आज मैं अरुणाचल प्रदेश के भाजपा सांसद तापिर गाओ से मिला। उन्होंने मुझसे कहा कि अरुणाचल प्रदेश के लोग चाहते हैं कि मैं अपना ध्यान अरुणाचल पर भी दूँ। उन्होंने बताया कि चीन की सेना ने मैकमोहन रेखा पार कर ली है और राज्य के दक्षिण में तीन समानांतर जगहों पर घुसपैठ कर लिया है। मैं जल्द ही साल की शुरुआत में अरुणाचल प्रदेश जाऊँगा।”

हालाँकि, सुब्रमण्यम स्वामी का यह दावा ज़्यादा देर नहीं टिका। तापिर गाओ ने स्वामी के दावे का खंडन करते हुए कहा है कि सुब्रमण्यम स्वामी उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं, उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं कहा है। स्वामी के गलत तरीके से कोट किए जाने वाले ट्वीट का जवाब भी बीजेपी सांसद तापिर गाओ ने ट्विटर पर ही दिया।

उन्होंने स्वामी के ट्वीट को साझा करते हुए लिखा, “मैं सुब्रमण्यम स्वामी से संसद के सेंट्रल हाल में 2 दिसंबर को 10:35 बजे मिला। तब उन्होंने मुझसे चीनी घुसपैठ के बारे में पूछा। मैंने उन्हें बताया कि 1962 में चीन ने दो से तीन जगहों पर कब्जा कर लिया था। तब कॉन्ग्रेस का शासन था, लेकिन कोई ताजा घुसपैठ नहीं हुई है। मोदी सरकार के बाद से चीन ने किसी स्थान पर कब्जा नहीं किया है। दुर्भाग्य से उन्होंने मेरे बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया।” 

हालाँकि, स्वामी ने इसके बाद भी हार नहीं मानी बल्कि एक और ट्वीट में सफाई देते हुए लिखा, “मैंने यह कहने के अलावा कोई तारीख नहीं बताई कि चीन ने पहले ही क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है। अगर चीन ने 1962 में उस पर कब्जा कर लिया था और उसके बाद पक्के गाँव बना लिए थे तो हम 2014 से 18 तक आमने-सामने की बैठक से क्यों सो रहे थे? क्या इसे कभी शी के साथ उठाया गया था?”

गौरतलब है कि इससे पहले बुधवार (1 दिसंबर, 2021) को भी सुब्रह्मण्यम स्वामी ने दावा किया कि राज्यसभा सचिवालय ने उनके एक प्रश्न को राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए अनुमति नहीं दी। उनके अनुसार, इस प्रश्न में यह पूछा गया था, “क्या चीनी सैनिकों ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को पार किया था?”

इस पर भी स्वामी ने एक ट्वीट करते हुए मोदी सरकार को घेरने की कोशिश की थी। उन्होंने लिखा, “यह त्रासदीपूर्ण नहीं हास्यास्पद है कि राज्यसभा ने मेरे इस सवाल पर आज मुझे सूचित किया कि इस प्रश्न को राष्ट्रीय हित में अनुमति नहीं दी जा सकती है कि क्या चीन ने एलएसी को पार किया है?”

बता दें कि राज्यसभा सचिवालय जब कोई संवेदनशील मामला होता है तो वह संबंधित मंत्रालय की सिफारिश के अनुरूप कदम उठाता है। हालाँकि, पिछले साल जून में दोनों देशों की सेनाओं के बीच झड़प के बाद से विपक्ष भी इस मुद्दे को उठाता रहा है। वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल सर्वदलीय बैठक में यह साफ किया था कि किसी ने भी भारत में प्रवेश नहीं किया या उसकी सीमा पर कब्जा नहीं किया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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