नेटवर्क कनेक्टिविटी की समस्या के कारण घर से दूर पहाड़ी पर झोपड़ी बनाकर पढ़ने वाली महाराष्ट्र की छात्रा स्वप्नाली सुतार की मदद के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय आगे आया है। प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा सीधे हस्तक्षेप से सुनिश्चित किया गया कि स्वप्नाली को नेटवर्क कनेक्टिविटी के कारण अपनी ऑनलाइन क्लासेज में कोई समस्या न आए। प्रधानमंत्री कार्यालय और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की मदद से कुछ ही दिन पहले चर्चा में आई स्वप्नाली सुतार अब अपने घर से ही अपनी ऑनलाइन क्लासेज जॉइन कर पा रही हैं।
Thank You @narendramodi ji for a such sensible intervention.
— Vijaya Rahatkar (@VijayaRahatkar) August 26, 2020
Thank you @rsprasad ji for speedily action to ensure net connectivity to Swapnali to realise her dream.
PMO ensures young girl doesnt miss online lecture due to net connectivity issues anymore https://t.co/Lq19itrpMw pic.twitter.com/Mf66iXxIk8
महाराष्ट्र स्थित सिंधुदुर्ग जिले के दुर्गम इलाके में मौजूद दरिस्ते गाँव की निवासी स्वप्नाली सुतार के पढ़ाई के प्रति जूनून की कहानी जब आकाशवाणी और दूरदर्शन के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संज्ञान में आई तो कुछ ही दिनों में प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा इस समस्या का तत्काल निवारण किया गया और अब स्वप्नाली अपनी पढ़ाई इन्टरनेट के जरिए घर से ही जारी रख पा रही है।
आकाशवाणी संवाददाता की रिपोर्ट में ही बताया गया कि इस वर्ष के स्वतंत्रता दिवस के भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि भारत के प्रत्येक गाँव को अगले हजार दिनों के भीतर एक ऑप्टिकल फाइबर इंटरनेट मिलेगा। स्वप्नाली सुतार ने शायद ही सोचा होगा कि यह वास्तविकता में भी तब्दील हो सकता है और उसके दूरदराज के गाँव में इंटरनेट कनेक्शन उपलब्ध हो सकेगा।
कोरोना वायरस के दौरान जारी लॉकडाउन के कारण स्वप्नाली अपने ही गाँव में रह गई और इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं होने के कारण स्वप्नाली मुंबई वेटरनरी कॉलेज द्वारा आयोजित ऑनलाइन कक्षाओं में भाग लेने में असमर्थ थी। इस समस्या के निवारण के लिए स्वप्नाली के भाइयों ने उसके लिए 2 किलोमीटर दूर एक पहाड़ी के ऊपर एक झोपड़ी के आकार का शेड बनाने में मदद की, ताकि उसके मोबाइल में नेटवर्क आ सके और उसे वह बिना किसी समस्या के अपनी पढ़ाई जारी रख सके।
स्थानीय और राष्ट्रीय मीडिया द्वारा स्वप्नाली के संकल्प को सराहा गया और इस कहानी को चैनलों पर दिखाया गया, जिस कारण यह प्रधानमंत्री कार्यालय की नज़र में भी आ सका। एक सप्ताह के भीतर ही इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधिकारियों ने स्वप्नाली के गाँव पहुँचकर ग्राम पंचायत के माध्यम से स्वप्नाली के घर तक सीधे केबल बिछाई। मीडिया और सरकार को उनकी त्वरित कार्रवाई के लिए धन्यवाद देते हुए, स्वप्नाली ने कहा कि वह अब अपने घर से ही सुरक्षित तरीके से अध्ययन कर सकती है।