मद्रास हाई कोर्ट ने बुधवार (14 अगस्त 2024) को अपने फैसले में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कार्यकर्ताओं को स्वतंत्रता दिवस पर पूरे तमिलनाडु में राष्ट्रीय ध्वज के साथ बाइक रैली निकालने की अनुमति दे दी। कोर्ट ने कहा कि इसकी अनुमति नहीं देना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली डीएमके सरकार ने इसकी अनुमति देने से मना कर दिया था।
न्यायाधीश जी जयचंद्रन ने पूछा, “नागरिकों को राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए हर साल अदालत की अनुमति क्यों लेनी पड़ती है?” कोर्ट ने डीजीपी को निर्देश दिया कि ऐसी रैली के लिए अनुमति देने से इनकार न करें। हालाँकि, कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि प्रतिभागी को यह गारंटी देनी होगी कि ध्वज को नुकसान नहीं पहुँचाया जाएगा और यातायात एवं कानून-व्यवस्था के नियमों का उल्लंघन नहीं किया जाएगा।
इस पर राज्य ने यह तर्क दिया कि यह मुद्दा राजनीतिक नहीं है। अतिरिक्त महाधिवक्ता जे रवींद्रन ने पिछली रैलियों की तस्वीरों का हवाला देते हुए तर्क दिया कि कुछ प्रतिभागी हेलमेट नहीं पहनते हैं। राज्य की ओर से पेश वकील ने कहा, “यह खुशी का अवसर है। हम किसी को भी जश्न मनाने से नहीं रोकना चाहते। वास्तव में हम चाहते हैं कि हर कोई जश्न मनाए, लेकिन इसके और भी तरीके हैं।”
रवींद्रन ने कहा, “ये संवेदनशील तिथियाँ हैं। राज्य अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए कदम उठाने के लिए बाध्य है। स्वतंत्रता दिवस के लिए 1,700 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया, जबकि 60 या 90 कर्मियों को अन्य कामों के लिए छोड़ दिया गया था।” इस पर अदालत ने कहा कि वह इनका संज्ञान लेगा, लेकिन इस तरह की रैलियों के लिए अनुमति न देने के निर्णय के पीछे यह तर्क सही नहीं है।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, न्यायाधीश ने राज्य सरकार से पूछा, “यदि राज्य इसमें किंतु-परंतु जोड़ना चाहता है तो राज्य के नागरिकों को क्या संदेश जाएगा? क्या राज्य उन्हें राष्ट्रीय ध्वज फहराने या ले जाने की अनुमति नहीं देना चाहता, जबकि उन्हें ऐसा करने का अधिकार है?” न्यायालय ने यह भी कहा कि वह अपना आदेश केवल इस मौजूदा याचिका तक ही सीमित रखेगा।
दरअसल, कोयंबटूर का भाजपा युवा मोर्चा स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज के साथ बाइक रैली निकालने की योजना बनाई थी। इसके लिए उन्होंने पुलिस के पास आवेदन भेजा, लेकिन पुलिस ने अनुमति देने से इनकार कर दिया। इसके बाद कोयंबटूर जिला सचिव ए कृष्ण प्रसाद ने अदालत में इस आदेश के खिलाफ एक याचिका दाखिल की। इसके बाद कोर्ट ने यह अनुमति दे दी।