गीतकार जावेद अख्तर और लेखक तारिक फतेह के बीच एक टीवी डिबेट में तीखी बहस हुई। इस दौरान जावेद अख्तर कह बैठे कि उन्हें इस्लाम के बारे में कुछ नहीं पता, सिर्फ़ मोटी-मोटी बातें पता है। लेकिन, साथ ही कुछ देर बाद फिर वही जावेद अख्तर कुछ ‘अच्छे मजहबियों’ का नाम गिनाने लगे। तारिक फतेह ने इस दौरान जावेद अख्तर को आइना दिखाते हुए कहा कि आमतौर पर उन मुस्लिमों पर फख्र किया जाता है, जिनके नाम पर शहर बसे हैं, लेकिन हकीकत में उन्होंने लाखों लोगों का ख़ून बहाया है।
तारिक फतेह ने कहा कि उनके पूर्वजों ने 1850 में इस्लाम अपनाया था। उन्होंने बताया कि भारत में रह रहे उनके मजहब के लोगों में ट्रेंड है कि वो अरबी नाम रखते हैं और यहाँ की ज़मीन के साथ जुड़ना ही नहीं चाहते। उन्होंने पाकिस्तान पर उर्दू के माध्यम से सिंधी, बलूची और पंजाबी भाषा के क़त्ल का आरोप लगाया। जावेद अख्तर ने कहा कि भारत में कथित अल्पसंख्यकों की जनसंख्या 20 करोड़ है, उन्हें एक विचारधारा में बाँधना सही नहीं है।
‘आजतक’ पर टीवी डिबेट में जावेद अख्तर ने दावा किया कि उन्होंने तीन तलाक, पर्दे और ‘मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड’ के ख़िलाफ़ कई कार्यक्रम किए हैं और इसके लिए उन्हें जान का ख़तरा भी रहता था। तारिक फतेह ने कहा कि अगर दुनिया भर के 10% मुस्लिम भी फ़ण्डामेंटालिस्ट हो गए तो पूरी दुनिया ख़त्म हो जाएगी। उन्होंने कहा कि समुदाय विशेष में जो जितने पढ़े-लिखे होते जा रहे हैं, वो उतने ही कट्टर होते हैं। जावेद अख्तर ने जवाब दिया कि गाँवों में कट्टरवाद नहीं है, सिर्फ़ शहरों में है।
तारिक फतेह ने कहा कि उन्हें हिंदुस्तान के ‘हिन्दू राष्ट्र” बनने में कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने याद दिलाया कि इंग्लैंड में रानी के नाम पर शपथ ली जाती है, हर देश में वहाँ के इतिहास का कद्र करने की परंपरा रही है। तारिक फतेह ने कहा कि तैमूर से लेकर आज तक मुस्लिमों ने बड़ा जुर्म किया है। जावेद अख्तर ने तारिक फतह के ‘सोर्स ऑफ इन्फॉर्मेशन’ पर सवाल खड़े कर दिए और कहा कि हमें तो वही पता है, जो हमने पढ़ा है।
SHOCKING – India’s @JavedAkhtarJadu praises #AllaudinKhilji, the 13th century invader of India who plundered Bharat, razed the magnificent library of #Nalanda by burning 3 million books & killing 1000s of Buddhist monks & Hindu scholars. Claims, Sindh is not part of Hind. pic.twitter.com/XGqmGtDQlk
— Intizar Zaidi (@IntizarZaidi) April 29, 2020
तारिक फतेह ने बच्चों का नाम तैमूर रखने पर आपत्ति जताई तो जावेद अख्तर ने जवाब दिया कि तैमूर ने कभी दिल्ली में शासन ही नहीं किया। तारिक फतेह ने बाबर और औरंगजेब को मुस्लिम होने के नाम पर लानत बताया। जावेद अख्तर ने इस दौरान अश्वमेध यज्ञ की आलोचना की और कहा कि ये साम्राज्यवाद की निशानी थी, जो आज नहीं चल सकती और ग़लत ही लगेगा। इसी तरह मुस्लिमों ने भी जो किया, वो उस वक़्त के हिसाब से ठीक था।
जावेद अख्तर ने इतना तक कह दिया कि तारिक फतेह ने इतिहास नहीं पढ़ा है। तारिक फतेह ने शहरों के नाम बख्तियारपुर और इलाहाबाद रखने पर आपत्ति जताई। इसके बाद जावेद अख्तर ने अल्लाउद्दीन खिलजी की तारीफ करते हुए कहा कि उसने अनाजों और सब्जियों के दाम नियंत्रित किए और मंगोलों को हराया, जिनसे भारत को बड़ा ख़तरा था। तारिक फतेह ने खिलजी द्वारा नालंदा यूनिवर्सिटी में 30 लाख किताबें जलाने की बात उठाई।
I asked Mr tarik Fateh if he believes that it is not true that Akbar Jahangir and were great kings and during their rule India had become richest country in the world with more than 30 % share in the world trade . Which historian he has read . No answer .
— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) April 29, 2020
जावेद अख्तर ने इस दौरान कई और घटनाओं को गिना कर कहा कि उस दौरान ऐसा होता रहता था। इसके बाद कोरोना वायरस पर बहस शुरू हो गई और जावेद अख्तर ने तबलीगी जमात की हरकतों को आपराधिक बताया लेकिन साथ ही कहा कि कोरोना के लिए उन्हें पूरी तरह जिम्मेदार ठहरना ग़लत नहीं है। उन्होंने उन वीडियो को भी नकार दिया, जहाँ मुस्लिम सब्जी व फल विक्रेताओं द्वारा घृणित हरकतें की जा रही थीं’।
जब तारिक फतेह ने कहा कि एक वीडियो में तो ख़ुद उस मुस्लिम ने ऐसा स्वीकार किया है। इस पर जावेद अख्तर ने अजोबोग़रीब तर्क देते हुए कहा कि वो तो बूढ़ा और गरीब मुस्लिम है, उससे जॉन एफ केनेडी की हत्या की जिम्मेदारी लेने को कहा जाए, तो भी वो स्वीकार कर लेगा। जावेद अख्तर इसके बाद व्यक्तिगत हमले पर उतर आए। उन्होंने तारिक फतेह के भारत में अफसरशाही होने के बयान पर कहा कि यहाँ जो समस्या है, उसे सुलझा लिया जाएगा और इसके लिए उन्हें किसी पाकिस्तानी या कैनेडियन से राय नहीं लेनी है। बता दें कि तारिक फतेह पाकिस्तानी हैं, जिन्हें कनाडा में शरण मिली है।
जावेद अख्तर ने तारिक फतेह से कहा कि उन्हें न तो इतिहास की जानकारी है और न ही उर्दू की। पाकिस्तान की बात आने पर जावेद अख्तर कहने लगे कि पाकिस्तान की समस्या से उन्हें क्या मतलब है? तारिक फतेह ने बताया कि सीरिया में 5 लाख मुस्लिमों को मुस्लिमों ने ही मारा और पूरी दुनिया में ऐसा हो रहा है। उन्होंने कहा कि जिस राजा दाहिर ने लोगों को पनाह दी, उन्हें जावेद अख्तर जैसों ने काफिर करार दिया।
इस दौरान जावेद अख्तर भारत में ‘मुस्लिमों की मॉब लिंचिंग’ की चर्चा की और झारखण्ड के तबरेज की मौत को मुद्दा बनाया। उन्होंने आरोप लगाया कि तारिक फतेह इन मुद्दों पर ट्वीट नहीं करते। पूरी बहस के दौरान जावेद अख्तर ख़ुद को नास्तिक साबित करने में लगे रहे और कहा कि वो तो मानते ही नहीं हैं कि कोई ऊपरवाला है। उन्होंने दावा किया कि इत्तिफाक से किसी हिन्दू-मुस्लिम में झगड़ा हो गया तो तारिक फतेह कनाडा में बैठ कर ट्वीट करते हैं, उनका एजेंडा क्या है?
तारिक फतेह ने दिल्ली के बीच में जामिया मिल्लिया इस्लामिया में लगे नारों की याद दिलाई। इस पर जावेद अख्तर ने पुलिस द्वारा लाइब्रेरी में घुस कर ‘छात्रों को मारने’ वाली बात उठाई, जिस पर पुलिस पहले ही स्पष्टीकरण दे चुकी है। जब तारिक फतेह ने इस्लामी शिक्षण संस्थानों की बात की तो जावेद अख्तर ने कहा कि वो हिन्दुओं की यूनिवर्सिटी पर ट्वीट क्यों नहीं करते? उर्दू वाली बात पर तारिक फतेह ने कहा कि वो ऐसी जबान नहीं बोलते, जिसके दो मायने निकले। वो पंजाबी बोलते हैं।
जावेद अख्तर इस दौरान मोहम्मद बिन कासिम का बचाव करते हुए बताते रहे कि वो तो पाकिस्तान में आया था, हिंदुस्तान में आया भी नहीं। उन्होंने फतेह द्वारा ‘मेरा हिंदुस्तान’ बोलने पर भी आपत्ति जताई। जावेद अख्तर पूरी डिबेट के दौरान तथ्यों और तर्कों से दूर ही भागते रहे।