Sunday, November 24, 2024
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मोदी देश के दूसरे अंबेडकर, गरीबी में पले PM ने गरीबी के दर्द को समझा: उत्तराखंड मुख्यमंत्री

ध्यान देने वाली बात यह भी है कि भले ही 10 फ़ीसदी आरक्षण को कैबिनेट और लोकसभा में मंज़ूरी मिल गई हो, लेकिन इसे लागू करने की डगर अभी भी मुश्किल है।

भाजपा सरकार ने लोकसभा में 323/3 की बहुमत से सामान्य वर्ग के वंचित और ग़रीब लोगों के लिए 10% आरक्षण की सुविधा देने वाले बिल को पारित करा दिया है। राज्यसभा में इस आरक्षण बिल का पारित होना अभी बाक़ी है। मोदी सरकार के इस फ़ैसले पर अपनी राय ज़ाहिर करते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने मोदी को देश का दूसरा अंबेडकर बताया है।

अपने बयान में मुख्यमंत्री त्रिवेंन्द्र सिंह रावत ने कहा “प्रधानमंत्री मोदी 21वीं सदी में पैदा होने वाले दूसरे अंबेडकर हैं। उन्होंने देश के आर्थिक रूप से गरीब लोगों के लिए शानदार फ़ैसला लिया है।” रावत ने सरकार के इस फ़ैसले के लिए प्रधानमंत्री को बधाई देते हुए कहा कि आज एक गरीब के घर में पैदा होने वाले प्रधानमंत्री ने देश के गरीबों के दर्द को समझा है।  

संविधान संशोधन की ज़रूरत

ध्यान देने वाली बात यह भी है कि भले ही 10 फ़ीसदी आरक्षण को कैबिनेट और लोकसभा में मंज़ूरी मिल गई हो, लेकिन इसे लागू करने की डगर अभी भी मुश्किल है। इस फ़ैसले को ठोस स्वरूप देने के लिए सरकार यह बिल राज्यसभा में भी पारित कराना होगा। इसके बाद संविधान में संशोधन करने की ज़रूरत पड़ेगी।

संविधान संशोधन के तहत अनुच्छेद 15 और 16 संशोधित होंगे। अनुच्छेद 15 क्लॉज़ 4 के अनुसार सरकार किसी भी सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए विशेष प्रावधान कर सकती है।

संभव है कि इसी क्लॉज़ में संशोधन हो और उसमें आर्थिक पिछड़ेपन को भी जोड़ा जाए। अनुच्छेद 16 क्लॉज़ 4 के अनुसार भी सरकारी नौकरियों में सरकार किसी भी पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण की व्यवस्था कर सकती है जिसे संशोधित कर इसमें आर्थिक पिछड़ेपन का प्रावधान किया जा सकेगा।

हालाँकि, सरकार के इस फ़ैसले का कई पार्टियों ने स्वागत किया है जिसमें बीजेपी की धुर विरोधी पार्टी कॉन्ग्रेस भी शामिल है। इसके अलावा एनसीपी (राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी) और आम आदमी पार्टी ने भी इस फ़ैसले का समर्थन किया है।

बता दें कि केंद्र और राज्यों में पहले ही अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 फ़ीसदी और अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए 22 फ़ीसदी आरक्षण की व्यवस्था है। कई राज्यों में आरक्षण का प्रतिशत 50% से भी ज़्यादा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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