संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने रविवार (जुलाई 4, 2021) को कहा कि मानसून सत्र के दौरान संसद के सामने केंद्र के तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ रोज करीब 200 किसानों का एक समूह प्रदर्शन करेगा। बता दें कि कृषि कानूनों के विरोध में 40 से ज्यादा किसान संगठन, संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में पिछले कई महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं।
SKM ने संवाददाता सम्मेलन में बताया कि सत्र शुरू होने के दो दिन पहले सदन के अंदर कानूनों का विरोध करने के लिए सभी विपक्षी सांसदों को एक चेतावनी पत्र दिया जाएगा। किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा, “हम विपक्षी सांसदों से भी 17 जुलाई को सदन के अंदर हर दिन इस मुद्दे को उठाने के लिए कहेंगे, जबकि हम विरोध में बाहर बैठेंगे। हम उनसे कहेंगे कि संसद का बर्हिगमन कर केंद्र को लाभ न पहुँचाएँ। जब तक सरकार इस मुद्दे का समाधान नहीं करती तब तक सत्र को नहीं चलने दें।”
हर संगठन से शामिल होंगे पाँच लोग
संसद का मानसून सत्र 19 जुलाई से शुरू होने जा रहा है। राजेवाल ने कहा, “जब तक वे हमारी माँगें नहीं सुनेंगे, हम संसद के बाहर लगातार विरोध प्रदर्शन करेंगे। प्रत्येक किसान संगठन के पाँच लोगों को विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए ले जाया जाएगा।” संयुक्त किसान मोर्चा ने पेट्रोल, डीजल और एलपीजी सिलेंडर की बढ़ती कीमतों के खिलाफ आठ जुलाई को देशव्यापी विरोध का भी आह्वान किया।
राष्ट्रीय राजमार्गों पर आने की अपील
मोर्चा ने लोगों से राज्य के और राष्ट्रीय राजमार्गों पर सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक बाहर आने और अपने वाहन को वहाँ लगाने को कहा। उन्होंने कहा, “आपके पास जो भी वाहन है, ट्रैक्टर, ट्रॉली, कार, स्कूटर, बस उसे निकटतम राज्य या राष्ट्रीय राजमार्ग पर लाएँ और वहाँ पार्क करें। लेकिन ट्रैफिक जाम न लगाएँ।” उन्होंने विरोध में एलपीजी सिलेंडर लाने को भी कहा।
‘7-8 जुलाई की रात 12 बजे 8 मिनट तक बजाएँगे गाड़ियों के हॉर्न’
किसान नेता ने लोगों से रात 12 बजे आठ मिनट के लिए ‘अपने वाहनों का हॉर्न बजाने’ की भी अपील की। उन्होंने विरोध में एलपीजी सिलेंडर लाने को भी कहा। किसान नेता ने कहा, “मैं सभी महिलाओं से अपने गैस सिलेंडर को सड़कों पर लाने और विरोध का हिस्सा बनने का आह्वान करता हूँ।”
‘शर्तों के साथ सरकार से बात नहीं होगी’
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के हालिया बयान के बारे में एक सवाल के जवाब में राजेवाल ने कहा कि किसान ‘शर्तों के साथ बात नहीं करेंगे।’ कृषि मंत्री ने कहा था कि सरकार किसानों के साथ बातचीत करने के लिए तैयार है। राजेवाल ने कहा, “नेता शर्तों के साथ कृषि कानूनों के बारे में बात करना चाहते हैं, हम उनसे बात करने के लिए तैयार हैं लेकिन तभी जब वे कानूनों को निरस्त करने के लिए सहमत हों।”
तोमर ने एक जुलाई को जोर देकर कहा था कि केंद्र के तीनों कृषि कानून किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाएँगे और यह स्पष्ट किया कि सरकार इन कानूनों को निरस्त करने की माँग को छोड़कर विरोध करने वाले किसानों के साथ बातचीत करने के लिए तैयार है।