उत्तर प्रदेश चुनावों में समाजवादी पार्टी और भी आर्मी के बीच गठबंधन होने के कयासों पर विराम लग गया है। भीम आर्मी सुप्रीमो चंद्रशेखर आजाद ने शनिवार (15 जनवरी 2022) को लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में गठबंधन की संभावनाओं से इनकार करते हुए कहा कि सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव को दलितों की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि वह अकेले चुनाव लड़ेेंगे।
चंद्रशेखर ने कहा, तमाम चर्चाओं के बाद आखिर में मुझे लगा कि अखिलेश यादव इस गठबंधन में दलितों को नहीं चाहते। उन्हें सिर्फ दलित वोट बैंक चाहिए। उन्होंने बहुजन समाज के लोगों को अपमानित किया। मैंने 1 महीने 3 दिन तक कोशिश की, लेकिन गठबंधन नहीं हो सका।”
After all the discussions, in the end, I felt that Akhilesh Yadav does not want Dalits in this alliance, he just wants Dalit vote bank. He humiliated the people of Bahujan Samaj, I tried for 1 month 3 days but the alliance could not happen: Bhim Army Chief Chandrashekhar Azad pic.twitter.com/Yx3YgMT9wY
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 15, 2022
चंद्रशेखर ने कहा, “एक आदमी को उतना ही बोलना चाहिए, जितना उसमें हिम्मत हो। मैं भी उतना ही बोलता हूँ, जितना पर टिके रह सकता हूँ। मैं फालतू नहीं बोलता। 20 फीसदी बहुजन समाज को उचित रास्ता दिलाने के लिए हमने अखिलेश जी पर भरोसा किया। छह माह से हमारी बातें हुई, मुलाकात हुई। घोषणा करना अलग है, उस पर टिके रहना अलग बात है।”
इसके पहले चंद्रशेखर ने शुक्रवार (13 जनवरी 2022) को लखनऊ स्थित सपा के कार्यालय जाकर अखिलेश यादव से मुलाकात की थी। इसके पहले गुरुवार (12 जनवरी 2022) को भी सपा के ऑफिस पहुँचे थे। तब चंद्रशेखर ने कहा था कि उनकी पार्टी ने तय किया है कि इस चुनाव में गठबंधन किया जाएगा। चंद्रशेखर ने एकता में बड़ा दम बताया था।
एकता में बड़ा दम है। मजबूती और एकता के बगैर बीजेपी जैसी मायावी पार्टी को हराना आसान नहीं है। गठबंधन के अगुवा का दायित्व होता है कि वो सभी समाज के लोगों के प्रतिनिधित्व और सम्मान का खयाल रखें। आज यूपी में दलित वर्ग @yadavakhilesh जी से इस जिम्मेदारी को निभाने की अपेक्षा रखता है।
— Chandra Shekhar Aazad (@BhimArmyChief) January 14, 2022
मीडिया में यह बात बहुत जोर-शोर के साथ उठाई जा रही थी कि अखिलेश और चंद्रशेखर के बीच सीट बँटवारे को लेकर बातें लगभग तय हो चुकी हैं और दोनों कभी भी और किसी भी वक्त गठबंधन और सीटों को लेकर ऐलान कर सकते हैं। कुछ ने तो सूत्रों के हवाले से भीम आर्मी को सीटें भी दे दी थीं। हालाँकि, अखिलेश कितना भी दावा करें कि यूपी में छोटे-छोेटे दलों को साथ लेकर वह प्रदेश में भाजपा को रोकने की कोशिश करेंगे, लेकिन चंद्रशेखर के साथ उनका सीट बँटवारे पर विवाद उनके दावे को झूठा साबित करता है।