उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनावों को लेकर योगी आदित्यनाथ सरकार पर प्रश्न उठ रहे हैं। Covid-19 के संक्रमण के बीच उत्तर प्रदेश में हो रहे पंचायत चुनावों के कारण लगातार राज्य सरकार की आलोचना हो रही है किन्तु सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि राज्य सरकार पंचायत चुनाव नहीं कराना चाहती थी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय के कारण राज्य में चुनाव कराने पड़े। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया था कि राज्य में पंचायत चुनाव की प्रक्रिया 10 मई के पहले पूरी हो जानी चाहिए।
रविवार को उत्तर प्रदेश सरकार ने बताया कि एक रिट याचिका पर निर्णय देते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 4 फरवरी को राज्य सरकार को यह आदेशित किया था कि राज्य में चुनाव प्रक्रिया 10 मई के पहले पूरी हो जानी चाहिए।
राज्य सरकार के प्रवक्ता ने जानकारी दी कि विनोद उपाध्याय द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार के विरुद्ध दायर की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए 4 फरवरी को न्यायालय ने यह आदेश दिया था। प्रवक्ता ने यह भी बताया कि उच्च न्यायालय का यह आदेश भी था कि राज्य चुनाव आयोग पंचायत चुनाव में आरक्षण और सीट आवंटन की प्रक्रिया भी 15 मार्च तक पूरी कर ले।
हाथरस के एक ग्राम प्रधान विनोद उपाध्याय की याचिका पर जस्टिस मुनीश्वर नाथ भंडारी और रोहित रंजन अग्रवाल की बेंच ने सुनवाई की थी। याचिका में उपाध्याय के द्वारा संविधान के अनुच्छेद 243-E के प्रावधानों के तहत उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव कराने के लिए न्यायालय द्वारा आदेशित किए जाने की माँग की गई थी।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के बाद ही उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव चार चरणों में आयोजित किए गए, जिनका परिणाम 2 मई को घोषित किया जाएगा।
राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि पंचायत चुनाव पिछले साल दिसंबर से ही लंबित थे। महामारी के कारण पंचायतों के पुनर्गठन और परिसीमन का कार्य भी प्रभावित हुआ था। इसी विषय में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर की गई थी और माँग की गई थी कि सरकार चुनावों में किसी प्रकार का हस्तक्षेप न करे।
उत्तर प्रदेश के सरकारी प्रवक्ता ने यह भी जानकारी दी कि चुनाव आयोजित कराने के न्यायालय के फैसले का सम्मान करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने पंचायत चुनाव का नोटिफिकेशन जारी किया लेकिन चुनावों को कोविड प्रोटोकॉल के तहत ही संपन्न कराने की पूरी व्यवस्था की गई।
प्रवक्ता के अनुसार मतदाताओं की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा गया। गाँवों के सैनिटाइजेशन का काम भी किया गया। कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते राज्य चुनाव आयोग ने यह निर्णय भी लिया था कि चुनाव प्रचार के दौरान प्रत्याशी के साथ 5 से अधिक व्यक्ति नहीं होंगे।