Sunday, December 22, 2024
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2004 से 2009 तक कारगिल विजय दिवस नहीं मनाती थी कॉन्ग्रेस की अगुवाई वाली UPA सरकार, मानती थी ‘BJP की लड़ाई’

कारगिल युद्ध को लेकर पाकिस्तान हमेशा की तरह डिनायल के मोड में रहा, तो भारत में कॉन्ग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियों के लिए कारगिल की लड़ाई सिर्फ बीजेपी की लड़ाई रही।

आज ही के दिन यानी 26 जुलाई को साल 1999 में भारतीय सेना ने कारगिल की लड़ाई जीती थी। पाकिस्तान को करारी हार का मुँह देखना पड़ा था। पाकिस्तान हमेशा की तरह डिनायल के मोड में रहा, तो भारत में कॉन्ग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियों के लिए कारगिल की लड़ाई सिर्फ बीजेपी की लड़ाई रही। इसकी वजह से आधिकारिक तौर पर साल 2004 से 2009 तक सेना की इतनी बड़ी जीत को कभी सेलिब्रेट ही नहीं किया गया। जी हाँ, भारतीय सेना और भारत की जीत को सिर्फ इसलिए श्रेय नहीं दिया गया, क्योंकि कॉन्ग्रेस और यूपीए की नजर में ये भारत और भारतीय सेना की लड़ाई नहीं, बल्कि भारतीय जनता पार्टी की लड़ाई थी।

ये हम नहीं कह रहे, बल्कि ऐतिहासिक बयान, यूपीए सरकार के कार्यकाल के आधिकारिक पत्र कह रहे हैं। साल 2017 में बीजेपी के सांसद राजीव चंद्रशेखर ने आधिकारिक तौर पर दावा किया कि कॉन्ग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए-1 सरकार ने साल 2004 से 2009 के बीच कारगिल विजय दिवस को कोई तवज्जो नहीं दी और न ही आधिकारिक तौर पर भारतीय सेना के विजय दिवस का कोई जश्न ही आयोजित किया।

संयोग से 2009 में कॉन्ग्रेस पार्टी के सांसद राशिद अल्वी ने कहा था कि उन्हें कारगिल की जीत का जश्न मनाने का कोई कारण नहीं दिखता। रिपोर्ट के अनुसार, अल्वी ने कहा कि कारगिल कोई जश्न मनाने वाली बात नहीं है क्योंकि यह युद्ध हमारे अपने क्षेत्र में लड़ा गया था। उन्होंने आगे कहा कि यह एनडीए ही है जो इसका जश्न मना सकता है (युद्ध तब लड़ा गया था जब एनडीए सत्ता में थी)।

यदि सांसद राजीव चंद्रशेखर के प्रयास न होते तो सरकार शायद इसे मनाना बंद कर देती। 21 जुलाई 2009 को उन्होंने राज्य सभा के महासचिव को पत्र लिखकर सभापति से 23 जुलाई को उच्च सदन में कारगिल विजय दिवस को सार्वजनिक महत्व के मामले के रूप में उल्लेखित करने की अनुमति माँगी थी।

राजीव चंद्रशेखर ने अपने पत्र में संसद सदस्यों का ध्यान कारगिल विजय की 10वीं वर्षगाँठ की ओर आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि यह दिन न केवल देश की जीत का प्रतीक है, बल्कि यह सशस्त्र बलों के हजारों सैनिकों के कर्तव्य और बलिदान की प्रेरणादायक भावना का भी प्रतीक है। उन्होंने रक्षा मंत्रालय और भारत सरकार से अपील की कि वे इस दिन को यादगार बनाएँ और हर साल इसे मनाएँ। उन्होंने अपने सहयोगियों से भी अपील की कि वे इसे ‘बीजेपी युद्ध या कुछ और’ कहकर इसका विरोध करके इसका मज़ाक उड़ाना बंद करें।

उनके प्रयासों को फल तब मिला जब 2010 में उन्हें तत्कालीन रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी का पत्र मिला, जिसमें उन्होंने इस घटना को ध्यान में रखते हुए और शहीदों के सम्मान में कहा कि उस वर्ष अमर जवान ज्योति पर एक श्रद्धांजलि समारोह भी आयोजित किया जाएगा।

गौरतलब है कि 3 मई 1999 को ये बात पता चली थी कि पाकिस्तान ने कारगिल की पहाड़ियों पर 5 हजार से ज्यादा सैनिकों को आतंकवादियों के वेश में भेजा है और उन्होंने पहाड़ियों पर कब्जा जमा लिया था। इसके बाद घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन विजय’ चलाया। इस लड़ाई में 2 लाख से ज्यादा सैनिकों ने हिस्सा लिया और 2 माह से ज्यादा समय की लड़ाई के बाद कारगिल को मुक्त कराया। 26 जुलाई 1999 को आधिकारिक तौर पर कारगिल युद्ध समाप्त हुआ और सारी दुनिया में पाकिस्तान एक्सपोज हुआ। तब से हर साल 26 जुलाई के दिन को ‘कारगिल विजय दिवस’ के रूप में मनाया जाता है, सिवाय 2004 से 2009 के समय को छोड़कर, जब यूपीए-1 सरकार सत्ता में रही थी।

यह लेख मूल रूप से अंग्रेजी भाषा में साल 2017 में प्रकाशित किया गया था। मूल लेख पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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