आम आदमी पार्टी के सुप्रीमों और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का हाल ही में बंगला विवाद सामने आया था। इस मामले में नई दिल्ली के सिविल लाइन्स स्थित अपने आधिकारिक बंगले के नवीनीकरण के लिए उन्होंने लगभग 45 करोड़ रुपए खर्च कर सुर्ख़ियों में थे। वहीं अब उनके निजी सचिव को अवैध तरीके से बड़ा बंगला देने को लेकर एक नया विवाद सामने आया है।
दरअसल, मुख्यमंत्री केजरीवाल के निजी सचिव बिभव कुमार को पहले गलत तरीके से आवंटित टाइप-6 बंगले को रद्द कर दिया गया है। इसके बाद सतर्कता निदेशालय ने पीडब्ल्यूडी को आवास आवंटन नियमों का पालन करते हुए उन्हें टाइप-4 बंगला आवंटित करने का आदेश दिया है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट् के अनुसार, एजेंसी ने पाया कि कुमार को दिल्ली सरकारी आवास आवंटन (सामान्य आवास पूल) के नियमों का उल्लंघन करते हुए गैरकानूनी तरीके से उन्हें टाइप -6 घर दे दिया गया था, जबकि वह टाइप-4 आवास के लिए पात्र थे। इसी मामले में बुधवार (23 अगस्त, 2023) को विभाग ने इस मुद्दे को लेकर पीडब्ल्यूडी सचिव को पत्र लिखा। उस पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि कुमार को शुरू में टाइप-5 आवास आवंटित किया गया था।
वहीं पीडब्ल्यूडी सचिव को भेजे गए इस पत्र में साफ़-साफ उल्लेख है, “यह पाया गया है कि बिभव कुमार को टाइप-5 आवास आवंटन रूल बुक के नियम (20) डी के अनुसार नहीं है। लोक निर्माण विभाग द्वारा जाँच में यह पाया गया है कि आवंटन नियमों के अनुसार… वह केवल टाइप-4 आवास के पात्र हैं क्योंकि यह बिना बारी का आवंटन है। चूँकि, उन्हें एक बड़ा क्वार्टर यानी टाइप-5 आवंटित किया गया था, इसलिए कुमार को इस प्रकार के आवंटन को नियमित करने के लिए पिछले डेट से एलजी की मंजूरी लेने के लिए लोक निर्माण विभाग के सचिव ने 18 अगस्त 2016 को एक प्रस्ताव पेश किया था।”
जिस पर उपराज्यपाल ने अपने जवाब में निर्देश दिया कि इस मामले को मौजूदा कानूनो और नियमों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया जाए। रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि कुमार ने दिल्ली जल बोर्ड द्वारा आवंटित टाइप-6 आवास (बंगला) पर कब्जा जमा लिया है जबकि वह उसके योग्य नहीं हैं।
सतर्कता विभाग ने अपने पत्र में लिखा, “मौजूदा नियमों के अनुसार राजपुर रोड पर टाइप-5 आवास का आवंटन अवैध है। टाइप-5 आवास को नियमित करने के प्रस्ताव को भी एलजी ने अनुमति नहीं दी। इसलिए, विभाग पीडब्ल्यूडी आवंटन के नियमों का पालन करते हुए कुमार को आवंटित टाइप-6 बंगले को रद्द कर उन्हें उनकी श्रेणी के अनुसार, टाइप-4 बंगला आवंटित कर सकता है।”
गौरतलब है कि यह विवाद ऐसे समय में आया जब खुद मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के बंगले को लेकर जाँच चल रही है। बता दें कि दो-तीन महीने पहले ही मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बँगले और उसके भीतर की तस्वीरें सामने आई थीं। और यह खुलासा हुआ था कि घर को चमकाने में 45 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। तस्वीरों में अरविंद केजरीवाल का बँगला देखने में काफी भव्य लग रहा था। साथ ही इसके भीतर काफी चमक-धमक भी है। दिल्ली के भाजपा नेताओं ने भी इस तस्वीरों को शेयर करते हुए उन्हें ‘अरविंद केजरीवाल का शीशमहल’ बताया था।