पश्चिम बंगाल (West Bengal) में हुए विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में बड़े पैमाने पर हुई राजनीतिक हिंसा के बीच बीजेपी छोड़कर टीएमसी में शामिल होने वाले बाबुल सुप्रियो (Babul Supriyo) ने मुस्लिम समुदाय के साथ मिलकर इफ्तार पार्टी की। इसके बाद उन्होंने अपने ऊपर लगाए जा रहे इल्जामों को नकारते हुए इसे ‘कम्युनल स्टाम्प’ बता दिया। उन्होंने कहा कि वो पहले 70 प्रतिशत लोगों तक सीमित थे, लेकिन टीएमसी में शामिल होने के बाद उनकी पहुँच 100 प्रतिशत लोगों तक हो गई है।
बाबुल सुप्रियो कोलकाता के मेयर और टीएमसी मंत्री फिरहाद हकीम के साथ इफ्तार पार्टी कर रहे थे। वो टीएमसी के बालीगंज से उम्मीदवार हैं और सीएम ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी के साथ प्रचार के लिए निकले थे। प्रचार के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान सुप्रियो ने भारत और पाकिस्तान के मुस्लिमों के साथ समानता की बात कही।
इस्लामिक टोपी धारण किए हुए सुप्रियो ने कहा, “मेरे इमेज पर नकली साम्प्रदायिक स्टाम्प लगाया गया था। लेकिन ये गलत है। पहले मेरी पहुँच केवल 70% आबादी तक ही थी, लेकिन अब मैं 100% आबादी से मिलने के लिए आजाद हूँ। मैं उन गिने-चुने गायकों में से एक हूँ, जिन्होंने पाकिस्तान में शो किए।”
A fake communal stamp was imposed over my image. But it is not true. Earlier I could only meet 70% population, now I am free to meet 100% population. I am among those few singers who performed shows in Pakistan: TMC Ballygunge Assembly candidate Babul Supriyo pic.twitter.com/DTePd8ASe6
— ANI (@ANI) April 7, 2022
ये कहने के बाद सुप्रियो ने मीडिया से कहा कि अगर कोई उनके इस बयान पर बवाल करना चाहता है तो वो ऐसा कर सकता है। क्योंकि उन्हें इस मामले में कुछ भी नहीं कहना पड़ेगा। दरअसल, 12 अप्रैल को राज्य में उपचुनाव होने हैं और बीजेपी के कीया घोष उनके खिलाफ चुनाव मैदान में हैं, जो कि सिंगर होने के साथ ही राजनेता भी हैं।
भारत-पाकिस्तान के मुस्लिमों की तुलना
टीएमसी नेता बाबुल सुप्रियों ने कोलकाता में जिस इफ्तार पार्टी में हिस्सा लिया, वहाँ पर संभवत: भारतीय मुस्लिम ही थे। इस दौरान उन्होंने दावा किया कि वो पाकिस्तान में भी प्रदर्शन कर चुके हैं। टीएमसी नेता ने दावा किया भारत के मुस्लिमों के लिए वही व्यक्ति काम कर सकता है, जिसे इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान और वहाँ के मुस्लिमों से कोई समस्या न हो, जो कि हर दिन भारत में घुसपैठ कर आतंकी हमले करते हैं और नागरिकों, सुरक्षाकर्मियों की हत्या करते हैं।
दरअसल, बीजेपी से टीएमसी में शामिल होने के बाद से उनकी आलोचना हो रही थी, लेकिन ऐसा करके उन्होंने अपने एक्शन को जायज ठहराने की कोशिश की है। गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद साल 2021 में बाबुल सुप्रियो बीजेपी छोड़कर टीएमसी का दामन थाम लिया था। टीएमसी के गुंडों द्वारा भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या, बलात्कार और घर जलाए जाने की घटना को लेकर सुप्रियो ने यह कहते हुए अपने कैडर को छोड़ दिया था कि वह उन क्षेत्रों में जाने से डरते हैं जहाँ हिंसा हो रही है क्योंकि उन पर हमला होगा।
टीएमसी के गुंडों के हमले का शिकार बीजेपी के कार्यकर्ताओं को बीच मंझधार में छोड़कर सुप्रियो टीएमसी में शामिल हो गए थे, जिसको लेकर उनकी कड़ी आलोचना की गई। उन पर ये आरोप लगे कि अपनी जान बचाने के लिए वे अपने आदर्शों से समझौता कर लिए।
हालाँकि, अब वो अपनी ही पुरानी पार्टी की आलोचना शुरू कर दी है। 70 प्रतिशत आबादी का जिक्र कर उन्होंने भाजपा को साम्प्रदायिक बताने की कोशिश की है। बहरहाल, अब वो टीएमसी का हिस्सा हैं और अब मुस्लिमों से मेलजोल के लिए आजाद हैं।