अक्सर ये सवाल किया जाता है मोदी ने क्या बदल दिया? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के लिए क्या किया है, ये भी पूछा जाता है। लेकिन, ज़मीन पर जाकर कोई नहीं देखना चाहता, सिर्फ़ सोशल मीडिया खोलकर मोबाइल के कीपैड के पीछे बैठे लोग उँगलियाँ तो लेकिन ज़मीनी हक़ीक़त से वो काफ़ी दूर होते हैं। सीएनएन न्यूज़ 18 के पत्रकार भूपेंद्र चौबे ने इस मामले में सराहनीय कार्य किया है। उन्होंने ग्राउंड जीरो पर पहुँच कर पड़ताल की और प्रधानमंत्री मोदी द्वारा गोद लिए गए गाँव जयापुर में लोगों से बातचीत भी की। इस दौरान लोगों ने जो बताया और चौबे ने जो कवरेज की, उसे आप नीचे दी गई वीडियो में देख सकते हैं। इसमें देखा जा सकता है कैसे जयापुर गाँव में महिलाओं की स्थिति भी काफ़ी सुधर गई है।
#ABillionVotes – Right on the edge of Jayapur in Varanasi, is an experiment in Indian politics. You can compare this to the most high-profile constituencies in India to this area which is called ‘Modiji Ka Atal Nagar’.
— News18 (@CNNnews18) April 24, 2019
Watch #CItizenManifesto with @bhupendrachaube. pic.twitter.com/hCaDTjabBh
इस वीडियो में देखा जा सकता है कि भूपेंद्र चौबे सबसे पहले एक सरकार नल के पास पहुँचते है। फिर वो चेक करते हैं कि क्या नल से पानी आ भी रहा है या फिर इसे यूँ ही लगाकर छोड़ दिया गया है। जब उन्होंने नल खोला तो उसमे से धाराप्रवाह पानी निकलने लगा। ये पानी इस तरह निकल रहा था जैसे किसी प्रकार का प्रेशर दिया जा रहा हो। पास खड़े ग्रामीण ने बताया कि 24 घंटे में जब भी नल खोलो, यूँ ही पानी निकलता है। उसने यह भी बताया कि गाँव में ऐसे कई नल लगे हुए हैं। चौबे ने उस पानी को पीकर देखा, उससे चेहरा साफ़ किया। जल निगम से डायरेक्ट आने वाला ये पानी इतना साफ़ था कि आश्चर्यचकित चौबे ने कहा कि ऐसा पानी तो दिल्ली में भी आता। उन्होंने कहा कि 5 वर्ष पहले शायद ही ये संभव था।
इसके बाद चौबे एक ऐसे घर के पास पहुँचते हैं, जिसे प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत 2016-17 में बनाया गया था। उस घर की दीवाल पर कुल ख़र्च का ब्यौरा लिखा हुआ था। उस आवास को बनाने में लगी कुल लागत 1,35,750 रुपए थी। इस घर को देखकर भूपेंद्र पूछ बैठे कि एक तरफ तो ‘न्याय’ है जहाँ 72,000 देने की बात की जा रही है और दूसरी तरफ साफ़-साफ़ सबूत हैं जो दिख रहे हैं। इस घर के ऊपर मोदी-योगी का एक पोस्टर लगा है जिसमे 2022 तक सबको आवास मुहैया कराने की बात की गई है।
इसके बाद भूपेंद्र एक फैक्ट्री में पहुँचते हैं जिसे मोदी के सत्ता संभालने के बाद बनाया गया है। इसमें काम कर रही महिला बताती हैं कि वे महीने में 3-4 हज़ार रुपए यहाँ काम कर के कमा लेती हैं और काम ज्यादा कठिन भी नहीं है। सब्बसे बड़ी बात, यहाँ भूपेंद्र एक लड़की से मिलते हैं जो 12वीं की छात्रा हैं और साथ-साथ महिलाओं को प्रशिक्षित भी करती हैं, उन्हें भी इसके लिए रुपए मिलते हैं। उस लड़की की माँ भी वहीं पर कार्य करती हैं। देखा जाए तो स्किल डेवलपमेंट के क्षेत्र में काम होने से ऐसे छोटे-छोटे न जाने कितने जॉब्स क्रिएट हुए हैं जिनसे महिलाओं व ग्रामीणों को रोज़गार मिला है। ऐसे कार्यों में मेहनत कम एवं स्किल, प्रशिक्षण और दक्षता की ज़रुरत ज्यादा होती है। और सरकार इन सब के लिए कार्य कर रही है, ऐसे इस ग्राउंड रिपोर्ट में दिखता है।
One of the three adopted villages by @narendramodi . One has to come and see “Atal nagar”. A Dalit Basti in jayapur. Unbelievable turnaround. #viewpoint pic.twitter.com/cM5MjgiSwh
— bhupendra chaubey (@bhupendrachaube) April 24, 2019
भूपेंद्र को मिली महिलाओं ने बताया कि वो चाहते हैं कि नरेंद्र मोदी फिर से जीत कर प्रधानमंत्री के रूप में लौटें। इसके बाद भूपेंद्र एक आवासीय कॉलोनी ‘मोदीजी का अटल नगर’ में जाते हैं, जहाँ के रहनेवाले अधिकतर दलित हैं। यहाँ कई सारे प्राइवेट आवासीय परिसर हैं जिन्हे सरकारी मदद द्वारा बनाया गया है। इसमें दिख रही हरियाली व व्यवस्थित पेड़-पौधों को देखकर कोई भी कह दे कॉलोनियाँ तो सिर्फ़ महँगे शहरों में ही मिलती हैं। यहाँ अंदर सड़कें भी काफ़ी अच्छी है। सभी घरों को पहचान संख्याएँ दी गई है। यहाँ पार्क और गार्डन भी हैं। ये सभी अंतिम 4 वर्षों में बने हैं। ऐसा वहाँ के निवासियों ने भी बताया।
घर संख्या 1 के निवासी ने भूपेंद्र चौबे को बताया कि ये घर 5 वर्ष पहले (मोदी के आने के बाद) सरकारी रुपयों से बना। इसमें कमरा, बाथरूम, किचन वगैरह सबकुछ है। स्थानीय निवासियों ने कहा कि पक्का घर मिलने से झोंपड़ियों में रहा करते थे। वहाँ रह रहे ग्रामीणों ने साफ़ कर दिया कि दलितों का नेता कही जाने वाली मायावती ने भी उनलोगों के लिए कभी इस तरह का कुछ नहीं सोचा। उन्होंने बताया कि मोदीजी ने उसका सपना साकार किया। परिसर के अंदर डस्टबिन वगैरह की भी अच्छी व्यवस्था है।