Sunday, November 17, 2024
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राम की अयोध्या वाली सीट कैसे हार गई BJP? वो सवाल जो पूरा देश पूछ रहा, 6 बिंदुओं में छिपा है उसका जवाब: जानिए अवधेश प्रसाद से क्यों लल्लू सिंह को मिली पटखनी

मुस्लिम वोटर भी एकतरफा सपा की तरफ गए जिसने यहाँ उसे बढ़त दिलाई। सपा से कॉन्ग्रेस के गठबंधन के कारण मुस्लिम वोट छिटका नहीं। बड़े स्तर पर मुस्लिम वोट ने सपा को यहाँ बढ़त दिलाई, जिससे उसे जीत हासिल करने में आसानी हुई।

लोकसभा चुनाव 2024 का परिणाम आ चुका है। देश भर में कई जगह मतदाताओं ने चौंकाने वाले परिणाम दिए हैं। इनमे से सबसे अधिक चौंकाने वाला परिणाम उत्तर प्रदेश के अयोध्या (फैजाबाद) से आया है। यहाँ भाजपा हार गई है। यहाँ भाजपा सांसद लल्लू सिंह को सपा प्रत्याशी अवधेश प्रसाद ने हरा दिया है। अवधेश प्रसाद ने लल्लू सिंह को 54,567 वोटों से शिकस्त दी है। यह सीट सपा 1998 के बाद पहली बार जीती है।

लोगों का कहना है कि भाजपा वह सीट हारी है जहाँ भव्य राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई है, वहाँ ऐसा कैसे हो सकता है। राम मंदिर को लेकर संघर्ष करने वाली पार्टी का अयोध्या से ही हार जाना लोगों को अचरज में डाल रहा है। 4 जून, 2024 को परिणाम आने के बाद देश भर में यह सीट चर्चा का बिंदु बनी हुई है। इस मुद्दे पर आम जनता से लेकर राजनीतिक पंडित तक लगातार चर्चा कर रहे हैं, वह यह पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं कि आखिर क्यों भाजपा अयोध्या सीट हारी।

चुनाव के परिणामों के बाद मीडिया ने इस मामले पर अपने हिसाब से कई निष्कर्ष दिए हैं। मीडिया ने अयोध्या में भाजपा की इस हार के एक से अधिक कारण बताए हैं। इसमें कार्यकर्ताओं की नाराजगी से लेकर सांसद रहते लल्लू सिंह का जमीन पर ना जाना और भाजपा के दलित वोट खिसकना आदि शामिल है। जमीन अधिग्रहण से जुड़े मुद्दे भी अहम् बताए गए हैं।

कार्यकर्ताओं की उपेक्षा और सांसद से नाराजगी

मीडिया रिपोर्ट्स ने बताया है कि अयोध्या जिले में भाजपा के सामान्य कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की गई। मंदिर बनने के बाद VIP जिला होने से यहाँ बड़े नेताओं की ही चली और स्थानीय कार्यकर्ताओं का फीडबैक ऊपर तक नहीं पहुँचा। इसी कारण से कार्यकर्ताओं का एक बड़ा वर्ग उदासीन हो गया और नाराज रहा, जिससे नुकसान हुआ।

इसके अलावा 2014 से लगातार सांसद रहे लल्लू सिंह का जमीन पर ना उतरना भी मुद्दा बताया गया, इससे उनकी जनता में छवि को धक्का लगा। लल्लू सिंह ने नाराजगी के अलावा जो भी वोट भाजपा को मिले वह पीएम मोदी की लोकप्रियता और राम मंदिर के मुद्दे पर ही पड़े।

सपा का दलित प्रत्याशी उतारना+ मुस्लिम वोट

सपा ने इस सीट से दलित प्रत्याशी उतारा। सपा प्रत्याशी अवधेश प्रसाद 9 बार के विधायक हैं। उनको दलितों का वोट काफी बड़े स्तर पर मिला। भाजपा से दलित वोट का छिटकना भी एक हार का एक बड़ा कारण रहा। बताया गया कि इस लोकसभा क्षेत्र में 26% दलित वोट को सपा ने अपने प्रत्याशी के चयन से ही अपनी तरफ मिला लिया।

इसके अलावा मुस्लिम वोटर भी एकतरफा सपा की तरफ गए जिसने यहाँ उसे बढ़त दिलाई। सपा से कॉन्ग्रेस के गठबंधन के कारण मुस्लिम वोट छिटका नहीं। बड़े स्तर पर मुस्लिम वोट ने सपा को यहाँ बढ़त दिलाई, जिससे उसे जीत हासिल करने में आसानी हुई।

संविधान वाले बयान ने किया बेड़ा गर्क

भाजपा प्रत्याशी लल्लू सिंह ने चुनाव प्रचार के दौरान एक बयान में भाजपा के 400 सीट वाले नारे पर संविधान बदलने का तर्क दिया। उन्होंने कहा कि 400 सीट होंगी तो संविधान बदला जा सकेगा। इस बयान का संदेश उनके लोकसभा क्षेत्र में सही नहीं गया। दलित वोटर्स में इस कारण से उनके प्रति दुराव आया और उन्हें इस तबके के वोट नहीं मिले।

जमीन अधिग्रहण, तोड़फोड़

अयोध्या में विकास के लिए काफी जमीन अधिग्रहण किया गया। प्रशासन ने इसके लिए स्थानीय लोगों की काफी जमीन ली। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा है कि अयोध्या में जमीन अधिग्रहण में गड़बड़ियाँ हुईं और मुआवजे का बँटवारा सही से नहीं हुआ। कई लोगों के घर तोड़े गए और उनकी सुनी नहीं गई। इस कारण से लोगों में गुस्सा रहा और उन्होंने वोट नहीं दिया।

शहरों में वोट, गाँवों पर फोकस नहीं

मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी बताया गया कि चुनाव अभियान का पूरा फोकस मात्र शहरों की तरफ ही रहा। गाँवों के उन क्षेत्रों पर ध्यान नहीं दिया गया जिन पर मंदिर से प्रभाव पड़ा हो। यहाँ के मतदाताओं तक ढंग से भाजपा नहीं पहुँच पाई, इस कारण से ग्रामीण क्षेत्र में वोट कट गया और भाजपा हारी।

भाजपा कार्यकर्ता का बसपा में जाना भी रहा नुकसानदेह

फैजाबाद सीट पर बसपा उम्मीदवार सच्चिदानंद पांडेय को 46,407 वोट मिले। वह पूर्व में भाजपा कार्यकर्ता ही थे लेकिन किन्हीं कारणों से बसपा में चले गए। उन्होंने चुनाव भी लड़ा और भाजपा का काफी वोट काटा। इसके अलावा NOTA को भी 7536 वोट मिले जो कि यह दर्शाता है कि लोग उम्मीदवार से नाराज थे। ऐसे में भाजपा को 50,000 वोट से अधिक नुकसान यहाँ हुआ। इतने ही अंतर से वह चुनाव हारी है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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