कई बार यह सवाल पूछा जाता है कि क्या हड़प्पा सभ्यता के सामानांतर या उससे पहले भी ऐसी कोई सभ्यता थी जिनसे हम आज परिचित नहीं हैं या जिनके बारे में हमें ज्यादा कुछ नहीं पता। उत्तर प्रदेश स्थित बागपत के सनौली में खुदाई से मिली कुछ चीजें इस ओर इशारा करती हैं। आर्कोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) द्वारा क्षेत्र में की जा रही खुदाई में मिली चीजें 4000 वर्ष से भी अधिक पुरानी बताई जा रही है।
इसमें जो अहम चीजें मिली हैं। ये चीजें खुदाई के दौरान निकाले गए ‘पवित्र कक्षों’ से मिली हैं। यहाँ से ताबूत, रथ, कंकाल और मुकुट जैसी वस्तुएँ मिली हैं जो उस समय की युद्ध प्रणाली के विषय में भी बहुत कुछ कहती हैं। इसके अलावा तलवारें, ढाल और हेलमेट मिले हैं जो उस समय हुई किसी युद्ध की ओर इशारा करते हैं।
एएसआई के डायरेक्टर डॉक्टर एसके मंजुल ने कहा कि ये चीजें हड़प्पा संस्कृति से वास्ता नहीं रखतीं। वहाँ ताबूत के साथ कुछ जली हुई लकड़ियों के अवशेष भी मिले हैं जो बताते हैं कि शव के क्रिया कर्म से पहले उसे नहला कर पूजा-पाठ किया गया होगा। डॉक्टर मंजुल ने इस बारे में विशेष जानकारी देते हुए कहा:
“एक इतिहासकार (उत्खनक) के रूप में मुझे लगता है कि ये हड़प्पा संस्कृति से अलग है। यह हड़प्पा संस्कृति के अंतिम चरण के समकालीन है। उत्तरी गंगा-यमुना दोआब में पनपी संस्कृतियों को समझने के लिए ये महत्वपूर्ण साबित होगा। हमें ताँबे की तलवारें, ढाल, रथ और हेमलेट मिले। हमें कुछ बर्तनों में उड़द की दाल, चावल, जानवरों की हड्डियाँ, जंगली सूअर और नेवले भी मिले हैं जिन्हें शवों के साथ ही दफनाया गया होगा। पवित्र कक्षों में शव को किसी तरह की पूजा-पाठ वगैरह के लिए रखा गया होगा।”
सोनौली यमुना नदी के बाएँ किनारे पर स्थित है। यह दिल्ली से 68 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में बसा हुआ है। वहाँ हुई खुदाई से यह पता चला है कि यहाँ हड़प्पा के समकालीन समय का सबसे बड़ा श्मसान था। जो ताबूत मिली हैं, उसमें 4 पाए हैं। इसे चूना-मिट्टी से सजाया गया है। इसके साथ 2 महिलाओं के कंकाल मिले हैं, जिनकी उम्र 30-40 वर्ष रही होंगी। उनके पास से चूना मिट्टी का बाजूबंद और सोने का टुकड़ा मिला है। हवनकुंड में लकड़ी के जले टुकड़े मिले हैं। ताम्बे की फ्रेम वाला शीशा, सींग से बनी कंघी और चित्रकारी किया हुआ बक्सा भी मिला।
जहाँ ये चीजें पाई गईं, वहाँ से कुछ सौ मीटर की दूरी पर एक बसावट वाला स्थान मिला है। वहाँ 4 ताँबे को गलाने वाली भट्टियाँ मिलीं। पिछले साल यहीं पर हुई खुदाई में 8 शाही ताबूत, रथ और युद्ध के अन्य साजो-सामान मिले। ताम्र हथियार बनाने की ऐसी प्रक्रिया का सबूत किसी भी हड़प्पा की खुदाई में नहीं मिलता
हड़प्पा के लिए अब तक 500 से भी अधिक जगह खुदाई हो चुकी है लेकिन ऐसी चारपाई वाली शव पेटिका कहीं नहीं मिली है। डॉक्टर संजय मंजुल ने कहा है कि वो गंगा और यमुना के बीच फैली इस सभ्यता के तह तक जाना चाहते हैं। उन्हें भरोसा है कि भारत जैसे विशाल देश में उस अवधि में एक ही संस्कृति पनपी होगी, ये विश्वास करने लायक नहीं है।