महाराष्ट्र में गन्ना किसानों की मुश्किलें अब कम होती नज़र आ रहीं हैं। सरकार के दबाव के बाद चीनी मिलों ने किसानों के खाते में पैसा जमा करना शुरू कर दिया है। बता दें कि सरकार की ओर से कहा गया था कि अगर किसानों का भुगतान नहीं किया जाता है, तो चीनी मिलों के चीनी के स्टॉक को जब्त किया जा सकता है।
सरकार की चेतावनी के बाद कोल्हापुर स्थित क्षेत्रीय कार्यालय, कोल्हापुर और सांगली जिले में कारखानों ने किसानों के खातों में ₹2,000 करोड़ से अधिक जमा करवाए हैं। ख़ब़र की मानें तो मिलों ने ₹2300 प्रति टन के हिसाब से किसानों के ख़ातों में पैसा जमा किया है, लेकिन यह रकम फेयर एंड रेमुनरेशन प्राइस (एफआरपी) से ₹600 कम है।
बता दें कि, कोल्हापुर और सांगली जिले के 36 चीनी कारखानों ने किसानों के बैंक खातों में
₹2,207 करोड़ जमा किए हैं। वहीं दो जिलों की फैक्ट्रियों पर अभी भी किसानों का ₹1,207 करोड़ का बकाया है। कोल्हापुर और सांगली जिले में किसानों को दी जाने वाली कुल राशि 31 जनवरी तक ₹3,114 करोड़ है।
कई मिलों ने नहीं किया है किस्त का भुगतान
सरकार की फटकार के बाद भी अभी कई चीनी मिलों ने भुगतान नहीं किया है। पेराई शुरू होने में लगभग तीन महीने होने पर भी अभी तक इन्होंने पहली किस्त का भुगताना नहीं किया, जबकि नियम के अनुसार एफआरपी राशि किसानों के बैंक खातों में गन्ना फसल की कटाई के 14 दिनों के भीतर दे दी जानी चाहिए।
वहीं इस पर चीनी मिलों का तर्क है कि बकाया भुगतान करने में वह फिलहाल असमर्थ हैं। क्योंकि उनके पास पड़े पुराने स्टॉक बाजार के कम माँग और न्यूनतम बिक्री मूल्य में कोई वृद्धि नहीं होने से, पड़े हैं। ख़बरों के मुताबिक, गन्ने के बकाए ने उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के दो प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों में ₹11,000 करोड़ से अधिक का कारोबार किया है।