राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के तिलस्वा में एक खदान पर बागवानी का काम करने वाले गंगाराम बलाई नाम के दलित मजदूर को पेड़ से बाँधकर जिंदा जला दिया गया। पुलिस इसे एक तरफ जहाँ आत्महत्या बता रही हैं, वहीं शव की हालत देखकर लगता है कि कोई खुद अपने लिए इतनी दर्दनाक मौत आखिर क्यों चुनेगा?
दैनिक भास्कर में छपी रिपोर्ट और सोशल मीडिया से मालूम चला है कि मृतक शाहपुरा क्षेत्र के उम्मेदनगर गाँव का निवासी था और घटना बिजोलिया थाना क्षेत्र के बहादुर जी का खेड़ा के पास जंगल की है। जहाँ पर गंगाराम का अधजला शरीर सूखे पेड़ के नीचे बाइक के टायरों से लिपटा हुआ मिला।
पुलिस ने प्रारंभिक तौर पर इसे आत्महत्या कहा है। जबकि परिजनों ने पुलिस को लिखित शिकायत देकर हत्या की आशंका जताई है। पुलिस के अनुसार लाश के पास पड़े मिले आधार कार्ड से पहचाना गया कि मरने वाला गंगाराम था। मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया है। लेकिन परिजन मुआवजे की मांग को लेकर अड़े हुए हैं।
गंगाराम के भतीजे ने बताया कि उसके चाचा करीब 30 सालों से तिलस्वां क्षेत्र में मज़दूरी करते थे। उन्होंने करीब 27 साल तक तिलस्वा महादेव मंदिर की बगीचे में बागवानी की। लेकिन पिछले 3 साल से वह बहादुरजी का खेड़ा में कंपनी एवं तिलस्वा महादेव में बन रही सराय के काम काम पर जा रहे थे। गंगाराम का अधजला शरीर जिस पेड़ से लटका मिला वो उसके कार्यक्षेत्र से कुछ ही दूरी पर है।
पुलिस का कहना है कि लाश के पास से सुसाइड नोट मिला है जबकि दैनिक भास्कर द्वारा जारी की गई तस्वीरों से पता चलता है कि आग की लपटों में मरने वाले का शरीर पूरा झुलस गया है। ऐसी हालत में जेब में पड़ा कोई कागज़ कैसे सुरक्षित रह सकता है यह सवाल अभी बना हुआ है। फिलहाल पूरा मामला प्रारंभिक बयान और परिजनों की ओर से उठाए गए सवालों के आधार पर ही टिका है क्योंकि कहा जा रहा है कि मृतक ने सुसाइड नोट में लिखा है कि वह अपनी बेटी की शादी से आहत था, जबकि वास्तविकता में गंगाराम अविवाहित था।