मध्य प्रदेश में कमलनाथ की सरकार में कैबिनेट मंत्री इमरती देवी एक बार फिर से विवादों में फँस गई हैं। इमरती देवी मध्य प्रदेश के कमलनाथ सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्री हैं। दैनिक भास्कर ने अपने एक रिपोर्ट में लिखा है कि प्रदेश की कैबिनेट मंत्री इमरती देवी ने 12वीं की परीक्षा कब और कहाँ से पास की, इसकी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है।
भास्कर के रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया है कि तीनों ही विधानसभा चुनाव के दौरान इमरती देवी के हलफ़नामे में गलत शैक्षणिक जानकारी दी गई है।
कैबिनेट मंत्री इमरती देवी ने 2018 में मध्यप्रदेश के डबरा विधानसभा से चुनाव लड़े। इस चुनाव के हलफ़नामे में उन्होंने अपने शैक्षणिक योग्यता के बारे में बताया है कि उन्होंने 2009 में भिंड के एक सरकारी स्कूल से राज्य ओपन बोर्ड की हायर सेकेंडरी परीक्षा पास की है। इमरती देवी ने यही जानकारी 2013 विधानसभा चुनाव के दौरान भी दी थी।
हालाँकि, 2008 विधानसभा चुनाव में इमरती देवी ने शैक्षणिक योग्यता से जुड़ी बिल्कुल अलग जानकारी दी थी। इस समय इमरती देवी ने बताया था कि उन्होंने 12वीं की पढ़ाई ओपन बोर्ड के हायर सेकेंडरी से करने के बजाय माध्यमिक शिक्षा मंडल से किया है। इस चुनाव में इमरती देवी ने अपने पासिंग ईयर का भी जिक्र नहीं किया है। ऐसे में साफ़ ज़ाहिर है कि मंत्री ने अपनी
शैक्षणिक योग्यता से जुड़ी जो जानकारी तीन अलग-अलग हलफ़नामें में दी है, वह हर जगह सही नहीं है।
इसके अलावा भास्कर ने रिपोर्ट में यह भी दावा किया कि मंत्री ने रिपोर्टर को जो जवाब दिया है वह निर्वाचन आयोग को दी गई जानकारी से बिल्कुल अलग है।
इस वजह से मंत्री के शैक्षणिक योग्यता पर उठा सवाल
– कैबिनेट मंत्री इमरती देवी ने रिपोर्टर को बताया कि उन्होंने 12वीं 2007 में ही भितरवार के एक सरकारी स्कूल से पास कर लिया था। ऐसे में यह सवाल उठता है कि यदि मंत्री ने 2007 में ही परीक्षा पास कर ली थी तो 2008 के हलफ़नामें में पासिंग ईयर का जिक्र क्यों नहीं किया?
– इमरती देवी ने 2008 या 2018 में से किस चुनाव के हलफ़नामे में शैक्षणिक योग्यता से जुड़ी सही जानकारी दी है? इमरती देवी ने सरकारी स्कूल के राज्य ओपन वोर्ड से पढ़ाई की है या फिर माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल से हायर सेकेंडरी परीक्षा पास की
– रिपोर्टर के एक सवाल के जवाब में इमरती देवी ने बताया कि मैंने 2007 में ही भितरवार से हायर सेकंडरी कर ली थी, जब मैं जिला पंचायत सदस्य थी। भिंड तो कभी पढ़ने गई ही नहीं। जबकि यह जानकारी अपने किसी चुनावी हलफ़नामे में नहीं दी है।