अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने कुलभूषण जाधव मामले में भारत के पक्ष में निर्णय दिया है। अदालत ने पाकिस्तान को कुलभूषण जाधव को दी गई सजा की समीक्षा करने और पुनर्विचार करने को कहा है। इसके साथ ही कुलभूषण जाधव को मिली मौत की सज़ा पर भी रोक लगा दी गई है। अदालत ने पाकिस्तान को वियना संधि के उल्लंघन का दोषी पाया है। अदालत ने कहा कि कुलभूषण जाधव को उनके अधिकारों के बारे में विवरण नहीं दिया गया। इसके अलावा अदालत ने इस बात का भी जिक्र किया कि जाधव की गिरफ़्तारी की जानकारी भारत को तुरंत नहीं दी गई।
भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान ने जासूसी का आरोप लगा कर अपने जेल में बंद कर रखा है। मामला अंतरराष्ट्रीय न्यायलय में गया और पाकिस्तान वहाँ भी इस मामले में लचर नज़र आया। यह मामला अंतरराष्ट्रीय न्यायलय में 2 वर्ष और 2 महीने तक चला। बता दें कि पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने कुलभूषण जाधव को मौत की सज़ा सुनाई थी। कुलभूषण को पाकिस्तान की जेल में ‘अपराध कबूलने’ के लिए प्रताड़नाएँ भी दी गई थी।
पाकिस्तान ने वियना संधि का सीधा-सीधा उल्लंघन करते हुए भारत द्वारा कुलभूषण जाधव को किसी भी प्रकार का क़ानूनी मदद (काउंसलर एक्सेस) मुहैया कराने की अनुमति नहीं दी। जब कुलभूषण की माँ और पत्नी उनसे मिलने गई, तब उनके साथ भी दुर्व्यवहार किया गया। मुलाक़ात के दौरान बीच में काँच की दीवार लगा दी गई थी और फिर फोन से उनकी बातचीत कराई गई। भारत ने अंतरराष्ट्रीय कोर्ट को बताया कि कैसे पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव को अगवा कर जबरदस्ती बयान दिलवाया और फाँसी की सज़ा सुना दी।
बता दें कि आईसीजे (ICJ) ने कुलभूषण जाधव की सजा पर रोक लगा दी थी। जाधव को जब अगवा किया गया था, तब वह रिटायरमेंट के बाद ईरान में अपना कारोबार कर रहे थे।