केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) ने आई-मॉनेटरी एडवायजरी (आईएएम) घोटाले के सिलसिले में कर्नाटक के पूर्व कॉन्ग्रेस मंत्री ज़मीर अहमद खान से गुरुवार (सितंबर 19, 2019) को पूछताछ की। आरोप है कि कंपनी ने कथित तौर पर इस्लामिक तरीके से निवेश करने पर अधिक लाभ देने का वादा कर 40,000 निवेशकों को धोखा दिया। कर्नाटक के पूर्व खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री खान को एजेंसी के कार्यालय में बुलाया गया जहाँ पर आईएमए घोटाले की जाँच कर रही सीबीआई की टीम ने पूछताछ किया।
इस पोंजी स्कीम घोटाले में मंसूर खान मुख्य आरोपित है। जानकारी के मुताबिक, ज़मीर अमहद खान को मंसूर खान से अवैध रूप से वित्तीय मदद मिली थी। सीबीआई ने जमीर से आईएमए के संस्थापक और उसके बीच कथित अवैध वित्तीय लेनदेन के बारे में पूछताछ की। बता दें कि कर्नाटक सरकार के अनुरोध और केंद्र की मंजूरी के बाद सीबीआई ने 30 अगस्त की रात को मामले को अपने हाथ में लिया था।
मामले को हाथ में लेने के 8 दिन के भीतर ही 7 सिंतबर को घोटाले के कथित मास्टर माइंड मंसूर खान और 19 अन्य के खिलाफ आपराधिक साजिश, विश्वासघात और आईपीसी से संबंधित विभिन्न धाराओं के तहत आरोप पत्र दाखिल कर चुकी है। इसमें आईएमए के निदेशक मंसूर, इसके 7 निदेशकों, 5 सदस्यों, 1 लेखा परीक्षक और आईएमए समूह से जुड़ी 5 कंपनियों का नाम शामिल है।
मंसूर की फर्म पर इस्लामिक निवेश के तरीकों का इस्तेमाल करके उच्च रिटर्न का वादा करके हजारों लोगों को ठगने का आरोप लगाया गया है। इस साल जून में घोटाला सामने आने पर मुख्य आरोपित मंसूर देश छोड़कर भाग गया था। इस मामले में कॉन्ग्रेस नेता और कर्नाटक के मंत्री बीज़ेड ज़मीर अहमद खान भी शक के घेरे में हैं। ईडी को दिए गए एक हलफनामे में ज़मीर ने IMA ज्वेल्स को अपनी एक सम्पत्ति ₹5 करोड़ में बेचने की बात कबूली थी।
जाँच एजेंसियों ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई करते हुए आरोपित कम्पनी की ₹190 करोड़ से अधिक की संपत्ति ज़ब्त कर चुकी है। जाँच एजेंसियों ने कम्पनी के 52 बैंक खातों से ₹12 करोड़ भी ज़ब्त किए हैं। ईडी ने कहा कि आईएमए किसी भी प्रकार का बिजनेस नहीं कर रही थी, बल्कि एक पोंजी स्कीम चला रही थी। मंसूर को जुलाई में दुबई से आने के बाद गिरफ्तार किया गया था।