भारतीय मूल के एक पूर्व रोमन कैथोलिक पादरी को अमेरिका में एक किशोर लड़की का यौन शोषण करने के अपराध में छह साल जेल की सज़ा सुनाई गई है। रैपिड सिटी जर्नल अख़बार के अनुसार 38 वर्षीय जॉन प्रवीण को एक 13 वर्षीय नाबालिग लड़की के यौन उत्पीड़न का दोषी ठहराया गया। अभियोजन पक्ष द्वारा अधिकतम एक वर्ष की सजा देने की अपील किए जाने के बाद न्यायाधीश स्टीवन मैंडेल ने शुक्रवार (29 मार्च) को छः साल की सजा सुनाई। मेंडेल ने कहा कि एक साल की सजा अभियुक्त के लिए कम थी।
ख़बर के अनुसार, 16 साल से कम उम्र के बच्चे के साथ यौन संबंध रखने के एक मामले में प्रवीण को दोषी ठहराए जाने के बाद सज़ा सुनाई गई। इस अपराध के लिए अधिकतम 15 साल की सज़ा होती है। मैंडेल ने कहा कि अगर प्रवीण को पैरोल दिया जाता है, तो पैरोल बोर्ड होमलैंड सिक्योरिटी से उसे तुरंत हैदराबाद भेजने के लिए कह सकता है।
प्रवीण ने दिसंबर 2017 में 10 साल के असाइनमेंट के लिए रैपिड सिटी डायोसिज़ को ज्वॉइन किया था। प्रवीण ने शुक्रवार को अदालत में घड़ियाली आँसू बहाते हुए कहा, “मैंने जो किया है उसके लिए मैं पीड़िता और उसके परिवार से माफ़ी माँगता हूँ। उसने कहा कि वो यह अच्छी तरह से जानता है कि मात्र सॉरी कह देना काफ़ी नहीं होगा, लेकिन भविष्य में वो ऐसा दोबारा कभी नहीं करेगा।”
एक ई-मेल किए के माध्यम से रैपिड सिटी बिशप रॉबर्ट ग्रस ने रैपिड सिटी के डायोसिज़ की ओर से पीड़िता और उसके परिवार से माफ़ी माँगी, इस ई-मेल में प्रवीण के कुकृत्य को “पापपूर्ण”, दर्दनाक और विश्वासघात कहा गया है। ग्रस ने कहा, “मुझे बहुत अफ़सोस है कि नाबालिग को एक पादरी के कुकृत्य को झेलना पड़ा।” उन्होंने आगे कहा कि इस दर्द को केवल वे ही लोग समझ सकते हैं सकते हैं, जो इस तरह के दुर्व्यवहार के शिकार हुआ हो। विश्वासघात का अनुभव बहुत पीड़ादायक होता है, ख़ासतौर पर अगर वो शख़्स पादरी हो तो ये और भी चिंता का विषय होता है।