वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस बात के संकेत दिए हैं कि चुनावी साल में अंतरिम बजट लेखानुदान (Vote on Account) से बढ़कर होगा। इंडिया बिज़नेस लीडर अवार्ड्स समारोह में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में वित्त मंत्री ने कहा कि सामान्यतः चुनावी साल में प्रस्तुत किया जाने वाला बजट लेखानुदान ही होता है परंतु अंतरिम बजट में परंपरा से हटकर जो कुछ भी घोषणा की जाएगी वह भारतीय अर्थव्यवस्था के हित में ही होगा।
राष्ट्रहित और परंपरा की दुहाई देते हुए जेटली ने कहा कि अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौतियों का समाधान करना आवश्यक है। उन्होंने कहा: “परंपरा यही रही है कि चुनावी साल का बजट अंतरिम बजट होता है। देश के लिए क्या ज़रूरी है इससे तय होता है कि अंतरिम बजट में क्या होगा।”
हालाँकि अरुण जेटली ने यह बताने से मना कर दिया कि अर्थव्यवस्था के किस क्षेत्र विशेष में कौन सी घोषणाएँ हो सकती हैं लेकिन उन्होंने साफ़ संकेत दिया कि अंतरिम बजट मामूली वोट ऑन अकॉउंट नहीं होगा।
वित्त मंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि केंद्र सरकार अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौतियों से निपटने के लिए चुनावी साल की परंपरा से अलग हटकर कुछ कर सकती है। वित्त मंत्री ने कहा कि कृषि एक क्षेत्र हो सकता है जिसपर अंतरिम बजट में परंपरा से हटकर कुछ प्रावधान किए जा सकते हैं।
जेटली मेडिकल चेक-अप के लिए फिलहाल न्यूयॉर्क में हैं। चर्चा के दौरान उन्होंने अंतरिम बजट प्रस्तुत करने में अक्षम होने की आशंकाओं को खारिज कर दिया। वित्त मंत्री ने टैक्स स्लैब में बदलाव के सवाल पर कुछ नहीं कहा।