संयुक्त राष्ट्र में ब्रिटेन ने 22 अन्य देशों का नेतृत्व करते हुए चीन द्वारा उइगर मुस्लिमों को बंदी बनाए जाने की निंदा की है। 23 देशों के समूह ने एक संयुक्त बयान में बीजिंग की कड़ी आलोचना की। यह बयान ब्रिटेन के संयुक्त राष्ट्र के राजदूत करेन पियर्स ने 193 सदस्यीय संगठन की मानवाधिकार समिति को दिया। अन्य समर्थकों में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी और जापान जैसे देश शामिल थे।
राजदूत पियर्स ने कहा,
“हम चीनी सरकार से शिनजियांग और पूरे चीन में धर्म और विश्वास की स्वतंत्रता सहित मानवाधिकारों के सम्मान के लिए अपने राष्ट्रीय कानूनों और अंतरराष्ट्रीय दायित्वों और प्रतिबद्धताओं को बनाए रखने का आह्वान करते हैं।”
UN का कहना है कि चीन के सुदूर शिनजियांग प्रांत के शिविरों में कम से कम 10 लाख उइगर और अन्य मुस्लिमों को क़ैद कर रखा गया है। वहीं, बीजिंग ने दावा किया कि वो शिविर “व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र” हैं, जिनका निर्माण चरमपंथ पर लगाम लगाने और लोगों को नए कौशल देने के लिए किया गया है।
ख़बर के अनुसार, जो मुस्लिम वहाँ बंदी थे, उनका आरोप है कि कैदियों पर अत्याचार, चिकित्सीय प्रयोग और सामूहिक बलात्कार किए जाते हैं। कुछ अन्य लोगों ने बताया कि मुस्लिम बंदियों को शराब पीने और सूअर का मांस खाने के लिए भी मजबूर किया जाता है। सरकार ने कथित तौर पर देश भर की मस्जिदों में गुंबदों और मीनारों को नष्ट कर दिया है। लेकिन, चीन ने इन सभी आरोपों का खंडन किया है।
चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिमों पर अत्याचार को लेकर मंगलवार (29 अक्टूबर) को संयुक्त राष्ट्र में चर्चा कराई गई थी। इसमें 54 देशों ने बीजिंग के मानवाधिकारों को लेकर सराहना की, जबकि 23 देशों ने चीन की कड़ी निंदा की। ग़ौर करने वाली बात यह है कि सराहना करने वाले 54 देशों में एक देश पाकिस्तान भी है। इससे पता चलता है कि पाकिस्तान को उइगर मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचार से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। वो केवल चीन के साथ अपनी सदाबहार दोस्ती को निभाने की दिशा में अग्रसर है।
पाकिस्तान दुनिया भर में मुस्लिमों की आवाज़ बनने का दंभ भरता है, लेकिन जब बात चीन की आती है, तो ऐसे समय में उसका यह दोहरा रवैया सामने आता है। पाकिस्तान के अलावा, रूस, बोल्विया, कॉन्गो और सर्बिया जैसे देश चीन के बचाव में हैं।