Monday, November 18, 2024
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तालिबान के डर से कार-हेलीकॉप्टर में पैसे भर कर भागे थे राष्ट्रपति गनी, इधर दिल्ली में ‘फ्रेंच फ्राइज’ तल रहा अफगान सैनिक

लाजपत नगर की एक स्ट्रीट फूड पॉइंट पर काम करने वाले उमेद को अफगानिस्तान की हालिया खबरें सुन कर तब के दिन याद आ जाते हैं, जब वो सेना में था। कई जगह उसकी तैनाती हुई थी और उसने कई तालिबानियों को मार भी गिराया था।

जहाँ एक तरफ अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी मुल्क छोड़ कर भाग खड़े हुए, वहीं दूसरी तरफ अफगानिस्तान का एक सैनिक दिल्ली में ‘फ्रेंच फ्राइज’ तल कर अपने जीवनयापन कर रहा है। कभी स्पेशल फोर्स में रहा उमेद अब आलू की ‘फ्रेंच फ्राइज’ तल कर रोज 300 रुपए कमा रहा है। उसका कहना है कि हिंदी सीखने की कोशिश है, लेकिन भविष्य और काम का कुछ पता नहीं कि क्या होगा।

उमेद भी अब कोई अच्छा काम करना चाहता है, लेकिन किसी तरह परिवार चलाने के लिए अभी उसे ‘फ्रेंच फ्राइज’ तल कर बेचने पड़ रहे हैं। तालिबान के साथ लड़ाई में उसके कई दोस्त मारे गए, जिन्हें अब भी याद कर वो भावुक हो उठता है। उमेद के माता-पिता तभी एक दुर्घटना में गुजर गए थे, जो वो दो साल का था। फ़िलहाल रिफ्यूजी कार्ड पर भारत रह रहे उमेद का कहना है कि अब तो वापस अपने मुल्क अफगानिस्तान में भी नहीं लौट सकते।

लाजपत नगर की एक स्ट्रीट फूड पॉइंट पर काम करने वाले उमेद को अफगानिस्तान की हालिया खबरें सुन कर तब के दिन याद आ जाते हैं, जब वो सेना में था। कई जगह उसकी तैनाती हुई थी और उसने कई तालिबानियों को मार भी गिराया था। उसके मिशन के कई वीडियो अब भी तालिबान के पास हैं। इसीलिए, उसे तालिबान ने ब्लैकलिस्ट भी कर रखा है। उमेद को डर है कि अफगानिस्तान जाते ही उसे मार डाला जाएगा।

उमेद के सिर, हाथ और चेहरे पर भी जख्म के निशान हैं। ये निशान केवल गोली के छर्रे से हुए, उनका नसीब ठीक था कि उन्हें गोली नहीं लगी। उन्होंने अपने सामने कई दोस्तों को मरते और गोली खाते देखा। उमेद का कहना है कि अफगानिस्तान सरकार कुछ नहीं कर पाती थी और तालिबान ही सबसे ऊपर था। उसने बताया कि भागने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था, क्योंकि ऐसा नहीं होने पर तालिबान की फौज में जाने के सिवा और कोई विकल्प नहीं था।

उमेद ने 18 साल की उम्र में ही फौज जॉइन कर लिया था। उसका कहना है कि भारत अच्छा देश है, लेकिन काम मिलना मुश्किल है क्योंकि पुलिस से लेकर एमसीडी तक के चक्कर लगाने पड़ते हैं। काबुल से लौटे एक अन्य फौजी ने बताया कि सुरक्षा बलों के लिए वहाँ स्थिति और भी गड़बड़ है। उसे बस इसका डर है कि उसके घर तालिबान न पहुँच जाए। परिवार डरा हुआ है। फ़ौज के लोग सबसे ज्यादा अफगानिस्तान के निशाने पर हैं।

उधर रूसी दूतावास ने बताया कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति (अब पूर्व) अशरफ गनी अपनी कार और हैलीकॉप्टर में रुपए भर कर तजाकिस्तान ले गए हैं। हालाँकि, ये किसी को नहीं पता है कि अशरफ गनी फ़िलहाल कहाँ पर हैं। रूस का कहना है कि उनकी 4 कारों व एक हैलीकॉप्टर में पैसे भरे हुए थे। कहा जा रहा है कि अफगानिस्तान के हालिया बजट में से जो भी रुपए बचे, वो सब वो अपने साथ ले गए।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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