दक्षिण एशिया में खूँखार वैश्विक आतंकी संगठन अलकायदा का सबसे बड़ा सरगना मारा गया। अफ़ग़ानिस्तान के ‘नेशनल डायरेक्टरेट ऑफ सिक्योरिटी (NDS)’ ने मंगलवार (अक्टूबर 8, 2019) को इस सम्बन्ध में जानकारी देते हुए बताया कि मौलाना असीम उमर को अमेरिका और अफ़ग़ानिस्तान के संयुक्त सुरक्षा बलों ने मार गिराया। मौलाना उमर को भारतीय सुरक्षा एजेंसियाँ सनाउल हक़ के नाम से चिह्नित करती है, जो मूल रूप से उत्तर प्रदेश के संभल का रहने वाला था। उसे 2014 में अलकायदा के मुखिया और ओसामा बिन लादेन के उत्तराधिकारी अल जवाहिरी द्वारा ‘भारतीय उपमहाद्वीप अलकायदा (AQIS)’ का प्रमुख बनाया गया था।
हालाँकि, अफ़ग़ान सुरक्षा एजेंसियों ने मौलाना उमर को पाकिस्तानी के रूप में चिह्नित किया है क्योंकि वह पाकिस्तानी पासपोर्ट लेकर घूम रहा था। उसके पास से पाकिस्तानी पासपोर्ट जब्त किया गया। मौलाना 1995 में ही भारत से गायब हो गया था। ख़ुफ़िया एजेंसियों का मानना है कि उसके बाद उसने पाकिस्तान में पनाह ली थी और वहीं से आतंकी गतिविधियाँ संचालित कर रहा था। आतंकी मौलाना को अफ़ग़ानिस्तान के हेलमंड प्रान्त स्थित मूसा क़ाला जिले में मार गिराया गया।
1/2: BREAKING: #NDS can now confirm the death of Asim Omar, leader of #Al_Qaeda in the #Indian Subcontinent (AQIS), in a joint US-Afghan raid on a Taliban compound in Musa Qala district of Helmand province on Sep. 23. pic.twitter.com/sFKi38M6MC
— NDS Afghanistan (@NDSAfghanistan) October 8, 2019
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को मौलाना उमर के बारे में तब पता चला था जब संभल के मोहम्मद आसिफ और कटक के अब्दुर रहमान से पूछताछ की गई थी। इन दोनों को दिल्ली पुलिस और ओडिशा पुलिस ने 2014-15 में गिरफ़्तार किया था। पुलिस के अनुसार, मौलाना उमर का साथी आसिफ 2012 में ईरान होकर पाकिस्तान गया था। वहाँ उसने पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी इलाक़े में बसे एक इलाक़े में स्थापित एक जिहादी कैम्प में प्रशिक्षण लिया था। उसके साथ यूपी के दो अन्य लोग भी गए थे। आसिफ को वापस भारत भेजा गया ताकि वह और भी भारतीयों को आतंकी सगठन में शामिल कर सके।
मौलाना उमर ने कराची में ही अपनी शिक्षा-दीक्षा पूरी की। 90 के दशक के उत्तरार्द्ध में उसने हरकत-उल-मुजाहिदीन की सदस्यता ली और फिर पेशावर स्थित दारुल-उलूम-देवबंद के एक मदरसे में पढ़ाने लगा। 2007 की गर्मियों में पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के आदेश पर लाल मस्जिद में स्थित जामिया उलूम-ए-इस्लामिया के आतंकियों पर सैन्य कार्रवाई की गई थी। इसके बाद मौलाना उमर का झुकाव अलकायदा की तरफ बढ़ा था। 26/11 मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड डेविड हेडली ने पूछताछ के दौरान जानकारी दी थी कि भारत को निशाना बनाने के लिए एक ‘कराची प्रोजेक्ट’ चलाया जा रहा है।
2/2: Omar, a #Pakistani citizen, was #killed along with six other AQIS members, most of them Pakistani. Among them was Raihan, Omar’s courier to Ayman #Al_Zawahiri. They had been embedded inside the Taliban compound in the #Taliban stronghold of Musa Qala. pic.twitter.com/7jQF7bK7aD
— NDS Afghanistan (@NDSAfghanistan) October 8, 2019
2013 में मौलाना उमर ने भारत के मुस्लिमों को भड़काने के लिए आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया था। उसने कहा था कि मस्जिद के सामने खड़ा लाल किला मुस्लिमों की गुलामी और हिन्दुओं द्वारा चलाए जा रहे नरसंहार के कारण ख़ून के आँसू रो रहा है। बता दें कि उमर जब 1995 में गायब हो गया था, तब उसके परिवार ने अखबारों में इश्तेहार दिया था। उसके पिता का कहना था कि उसने जाते समय मक्का जाने के लिए 1 लाख रुपए की माँग की थी।