Sunday, December 22, 2024
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ऑस्ट्रेलिया ने आतंकी हरकतों में लिप्त मौलाना की नागरिकता छीनी, गृह मंत्री ने कहा- देश की सुरक्षा के लिए कोई भी कार्रवाई करेंगे

आज तक ऑस्ट्रेलिया में इससे पहले किसी व्यक्ति के देश में रहते हुए नागरिकता नहीं छीनी गई, मौलाना ऐसी कार्रवाई का सामना करने वाला पहला व्यक्ति होगा। गृह मंत्री ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति देश के खिलाफ बड़ा आतंकी खतरा पैदा करता है तो उसके खिलाफ क़ानून के तहत हरसंभव कार्रवाई की जाएगी, जिससे ऑस्ट्रेलिया की रक्षा हो सके।

ऑस्ट्रेलिया ने मौलाना अब्दुल नसीर बेनब्रीका की नागरिकता छीन ली है। अल्जीरियन मूल के मौलाना पर 2005 में कई आतंकी घटनाओं की साजिश रचते हुए दबोचा गया था। इस्लामी मौलवी अब्दुल नसीर बेनब्रीका को 2009 में 15 सालों की सजा सुनाई गई थी और वो अगले महीने जेल से निकल सकता है। लेकिन, गृह मंत्री पीटर बटन ने कहा है कि ऑस्ट्रेलिया के लोगों को बचाने के लिए मौलाना की नागरिकता छीनना एक उचित कदम है।

एक और जानने वाली बात ये है कि आज तक ऑस्ट्रेलिया में इससे पहले किसी व्यक्ति के देश में रहते हुए नागरिकता नहीं छीनी गई, मौलाना ऐसी कार्रवाई का सामना करने वाला पहला व्यक्ति होगा। उसके वकीलों ने इस कार्रवाई पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। गृह मंत्री ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति देश के खिलाफ बड़ा आतंकी खतरा पैदा करता है तो उसके खिलाफ क़ानून के तहत हरसंभव कार्रवाई की जाएगी, जिससे ऑस्ट्रेलिया की रक्षा हो सके, चाहे वो कोई भी हो।

ऑस्ट्रेलिया में नियम है कि किसी भी व्यक्ति की नागरिकता तभी छीनी जा सकती है, जब वो दो देशों की नागरिकता रखता हो। इससे ये निश्चित किया जाता है कि ऐसा न हो कि नागरिकता छीने जाने के बाद उक्त व्यक्ति किसी भी देश का न रहे। पिछले साल भी ऑस्ट्रेलिया की सुरक्षा एजेंसियों ने इसे लेकर चिंता जताई थी और कहा था कि इससे देश की सुरक्षा पर अचानक से और अनअपेक्षिक प्रभाव पड़ सकता है।

मौलाना अब्दुल नसीर बेनब्रीका को 2005 में गिरफ्तार किया गया था और पाया गया था कि वो एक आतंकी संगठन की गतिविधियों का नेतृत्व करते हुए आतंकी हमले की साजिश रच रहा था। वो 1989 से ही ऑस्ट्रेलिया में रहता आ रहा था। उसके साथ 16 अन्य भी गिरफ्तार हुए थे, जिन्होंने कई आतंकी हमलों की साजिश रची थी। मेलबर्न में होने वाले वार्षिक फुटबॉल रूल्स फाइनल मैच को दहलाने की साजिश थी, जिसमें 1 लाख दर्शक आते हैं।

मौलाना अब्दुल नसीर बेनब्रीका को दी गई सज़ा में 12 साल की नॉन-पैरोल अवधि भी शामिल है, जो नवंबर 5, 2020 को एक्सपायर हो रही है। विक्टोरिया स्टेट के सुप्रीम कोर्ट में ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने अर्जी दी है कि उसकी सज़ा बढ़ा दी जाए, ताकि वो जेल में ही बना रहे। एक नियम के तहत आतंकियों को सज़ा पूरी होने के बाद भी 3 साल अतिरिक्त जेल में रखा जा सकता है। अब तक 2 बार कोर्ट ने 28-28 दिन के लिए उसकी सज़ा बढ़ाई है।

हाल ही में पूर्वी अफ्रीका में स्थित मलावी की पुलिस ने एक करोड़पति ईसाई ‘पैगम्बर’ को गिरफ्तार किया, जो चमत्कार के द्वारा काफी कुछ करने का दावा करता रहा है। अपने अनुयायियों के पीच ‘पैगम्बर’ कहे जाने वाले ईसाई उपदेशक पर धोखाधड़ी से लेकर मनी लॉन्ड्रिंग तक के मामले दर्ज हैं। उसे बुधवार (नवंबर 18, 2020) को गिरफ्तार किया गया। ईसाई उपदेशक शेफर्ड बुशिरी खुद को भी Prophet कहता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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