बांग्लादेश में एक बार फिर एक हिंदू को सरेआम काट डाला गया है। मृतक का नाम बोरुन घोष है और वो बांग्लादेश की सत्ताधारी पार्टी आवामी लीग के स्थानीय कार्यकर्ता थे। जिस जगह बोरुन की हत्या हुई, उस सीट पर हाल ही में हुए संसदीय चुनाव में आवामी लीग के प्रत्याशी को हार झेलनी पड़ी है।
घटना 9 जनवरी 2024 की शाम 7 बजे के आसपास हुई। हत्यारों ने बोरुन घोष के जेनैदाह जिले के घोषपारा इलाके स्थित उनके घर से बाहर खींच लिया और फिर उनका पैर काट दिया। इसके बाद उनकी हत्या कर दिया। हत्या करने के बाद सभी हत्यारे फरार हो गए। इस मामले में अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
इससे एक दिन पहले ही बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को संसदीय चुनावों में एक बार फिर से जीत मिली थी। हालाँकि, जेनैदाह-2 सीट पर अवामी लीग के प्रत्याशी तहजीब आलम सिद्दीकी सामी को हार का सामना करना पड़ा। तहजीब को निर्दलीय प्रत्याशी नासिर शहरयार ज़ाहेदी ने हराया है।
बीडी न्यूज24 ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि 42 साल के बोरुन घोष को घर से निकाल कर उनका पैर काट दिया गया। उन्हें आसपास के लोग अस्पताल लेकर पहुँचे, लेकिन उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। सदर पुलिस स्टेशन के प्रभारी शाहीनुद्दीन ने बताया कि आवामी लीग के कार्यकर्ता की उपद्रवियों ने हत्या कर दी है।
पुलिस ने कहा कि हत्या का मकसद अभी साफ नहीं है। हालाँकि, माना जा रहा है कि बोरुन की हत्या चुनावी रंजिश में की गई है। अवामी लीग (एएल) पार्टी के उम्मीदवार रहे तहज़ीब आलम सिद्दीकी सामी ने बताया कि बोरुन उनकी पार्टी के जिम्मेदार कार्यकर्ता थे। उन्हें राजनीतिक वजहों से निशाना बनाया गया।
वहीं, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मीर आबिदुर ने कहा, “मैं यह नहीं कह सकता कि बरुन राजनीति में सक्रिय रूप से शामिल थे या नहीं। हमने जाँच शुरू कर दी है।” हालाँकि, अवामी लीग के नेताओं ने पुष्टि की कि वह राजनीतिक रूप से सक्रिय थे।
जिला अवामी लीग के उपाध्यक्ष अब्दुल खालेक ने कहा कि बोरुन तहज़ीब आलम सिद्दीकी सामी के समर्थक थे। सत्तारूढ़ अवामी लीग पार्टी इकाई के संयुक्त महासचिव कनक कांति दास के अनुसार, बोरुन के बड़े भाई अरुण कुमार घोष विपक्षी वर्कर्स पार्टी के स्थानीय नेता हैं।
धार्मिक अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं पर हमले मुस्लिम-बहुल बांग्लादेश में आम हैं। वहाँ इस्लामी समूह ग्रामीण इलाकों में मंदिरों और हिंदुओं को निशाना बनाते हैं। हालाँकि, शेख हसीना की अवामी लीग सरकार ने चरमपंथी ताकतों पर कार्रवाई की है। इसके बावजूद अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा जारी है।