पशु तस्करी भारत-बांग्लादेश सीमा के बीच अवैध व्यापार का ज़रिया रहा है और ईद का त्योहार नज़दीक आते ही लोग काफ़ी प्रफुल्लित हो जाते हैं। फ़िलहाल, भारत से बांग्लादेश में अवैध रूप से तस्करी किए गए मवेशियों की संख्या में भारी गिरावट आई है।
पिछले महीने बांग्लादेश में एक अंतर-मंत्रिस्तरीय बैठक में मंत्री अशरफ़ अली ख़ान की अध्यक्षता में आँकड़ों का ज़िक्र करते हुए बताया गया कि 4096 किलोमीटर लंबी भारत-बांग्लादेश सीमा पर पशु तस्करी में 96 प्रतिशत की कमी आई है।
बांग्लादेश के अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की कि सीमा पर तैनात बीएसएफ की कोशिशों और बांग्लादेश द्वारा प्राप्त मांस उत्पादन में आत्मनिर्भरता के कारण पशु आयात में कमी आई है।
2016 के बाद से पशु तस्करी लगभग आधे से कम हो गई है। विस्तृत आँकड़े बताते हैं कि 2016 में लगभग 1,28,440 पशुओं के सिर ज़ब्त किए गए थे, जबकि 2017 में यह आँकड़ा घटकर 83,378 और 2018 में 51,592 पशु हो गए।
इसके अलावा, पहले, भारतीय गायों के अवैध प्रवेश की संख्या 2.4 से 2.5 मिलियन सालाना थी। कथित तौर पर, 2018 में केवल 92,000 गायों ने बांग्लादेश में प्रवेश किया।
माना जाता है कि देश में मवेशियों के व्यापार पर प्रभावी रोक ने इस अवैध व्यापार को प्रभावित किया है। फिर भी, भारत-बांग्लादेश सीमा पर पशु तस्करी का यह दुष्चक्र बीएसएफ के लिए एक बड़ी चुनौती है, जिसका कोई अंत नहीं है।
पिछले महीने, गाय की तस्करी के एक क्रूरतम तरीके में गाय के गले में IED (कामचलाऊ विस्फोटक उपकरण) बम बाँधा गया था। कथित रूप से IED बम बीएसएफ के उन सैनिकों को मारने के लिए था जो गाय तस्करी को रोकने और तस्करों को पकड़ने की कोशिश में होंगे। इससे पहले, एक घटना सामने आई थी जिसमें बांग्लादेश के पशु तस्करों द्वारा बम फेंके जाने से एक बीएसएफ जवान को अपना हाथ तक गँवाना पड़ा था।