बीबीसी उर्दू ने सोमवार (अप्रैल 12, 2021) को यूट्यूब पर एक वीडियो अपलोड किया। इस वीडियो में पाकिस्तान के पाठ्यपुस्तकों में हिंदुओं के खिलाफ निहित पूर्वाग्रह को उजागर किया गया। वीडियो में कई पाकिस्तानी हिंदुओं को दिखाया गया है, जिन्होंने पाकिस्तान में स्कूल की पाठ्यपुस्तकों में हिंदू विरोधी प्रोपेगेंडा की तरफ इशारा किया। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि सिर्फ हिंदू होने की वजह से उन्हें अपने दोस्तों, सहकर्मियों और सहपाठियों से अपमान का सामना करना पड़ता है।
यह वीडियो स्कूली पाठ्य पुस्तकों में हिंदू विरोधी कट्टरता के सामान्यीकरण को भी दर्शाता है जो आधिकारिक तौर पर पाकिस्तानी सरकार द्वारा स्वीकृत है। कम उम्र में ही पाठ्य पुस्तक के माध्यम से बच्चों में हिंदू के लिए ‘काफिर’ (इस्लाम में विश्वास न करने वालों के लिए अपमानजक शब्द) शब्द का इस्तेमाल कर उनके प्रति नफरत पैदा किया जाता है। उन्हें पाकिस्तान की बुराइयों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है।
वीडियो में पाकिस्तानी हिंदू विभिन्न स्कूल की पाठ्यपुस्तकों को यह दिखाने के लिए उद्धृत करते हैं कि स्कूल की पाठ्यपुस्तकें हिंदुओं और हिंदू धर्म के खिलाफ नफरत का समर्थन कैसे करती हैं। उन्होंने विभिन्न मानकों के स्कूल की पाठ्यपुस्तकों के अंशों का हवाला दिया, जिन्होंने हिंदुओं को दूसरे दर्जे के नागरिकों के लिए वापस कर दिया।
इनमें से एक राजेश ने एक पाकिस्तानी स्कूल की पाठ्यपुस्तक का हवाला दिया जिसमें हिंदुओं को ‘काफ़िर’ के रूप में वर्णित किया गया था, जिसका अर्थ मूर्तिपूजा करने वाले थे, और आरोप लगाया कि हिंदू स्त्री जाति से द्वेष करते हैं और अगर वो लड़की होने पर नवजात शिशु को जिंदा दफना देते हैं।
कुमार ने सिंध टेक्स्ट बुक बोर्ड की 11 वीं और 12 वीं कक्षा की किताबों का हवाला देते हुए हिंदुओं और सिखों का वर्णन करने के लिए ‘मानवता के दुश्मनों’ जैसे शब्दों के इस्तेमाल को उजागर किया। वह आगे कहते हैं कि पुस्तक में दावा किया गया है कि हिंदुओं और सिखों ने हजारों महिलाओं, पुरुषों और बच्चों को मार डाला।
पाकिस्तान में पुस्तकें इस नैरेटिव को आगे बढ़ाती हैं कि देश में हिंदू अल्पसंख्यक अपने पड़ोसी देश और कट्टर भारत के प्रति वफादार हैं। इस तरह, मुस्लिम छात्रों में यह धारणा पैदा होती है कि उनके देश में हिंदू देशद्रोही हैं और पाकिस्तान के लिए देशभक्ति की भावना नहीं है।
डॉ. कुमार ने 9 वीं और 10 वीं कक्षा की पुस्तकों का हवाला देते हुए बताया कि पाकिस्तानी किताबें हिंदुओं को विश्वासघाती और धोखेबाज कैसे बताती हैं। किताबों में दावा किया गया कि मुसलमानों और हिंदुओं ने दमनकारी ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ने के लिए हाथ मिलाया था। हालाँकि, हिंदुओं के मुसलमानों के प्रति शत्रुता दिखाए जाने की वजह से यह लंबे समय तक नहीं टिक सका।
जाने-माने पाकिस्तानी शिक्षाविद एएच नैयर के अनुसार, हिंदुओं के खिलाफ नफरत को पाकिस्तानी किताबों में सूक्ष्म तरीके से उकेरा गया है। वह बताते हैं कि जब पाकिस्तान का इतिहास पढ़ाया जाता है, तो मुस्लिम लीग और कॉन्ग्रेस के बीच लड़ाई को मुसलमानों और हिंदुओं के बीच लड़ाई के रूप में चित्रित किया गया है। नैय्यर कहते हैं, पाकिस्तान की स्थापना और इसके पीछे की राजनीति को सही ठहराने के लिए, पाकिस्तानी पाठ्यपुस्तकों में हिंदुओं को खलनायक के रूप में पेश किया जाता है।
उन्होंने पाकिस्तानी पाठ्यपुस्तकों में एक और महत्वपूर्ण समस्या पर प्रकाश डाला। उनका कहना है कि इन किताबों में मुस्लिम शासन के इतिहास को प्रमुखता से प्रस्तुत किया गया है, लेकिन हिंदू इतिहास में इसका कोई उल्लेख नहीं है। उदाहरण के लिए, उपमहाद्वीप का इतिहास इस क्षेत्र में मुसलमानों के आगमन से शुरू होता है। पिछले हिंदू शासकों का कोई उल्लेख नहीं है जो इस क्षेत्र में मुस्लिम शासन से पहले थे।