पूरे देश में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) लागू करने की कल्पना से ही विपक्षी दल क्यों घबराए हुए हैं, यह समझना मुश्किल नहीं है। असल में इससे उनके पाले-पोसे एक वोट बैंक के दूर जाने का खतरा है। असम में इसे लागू करने का असर भी दिखने लगा है। बांग्लादेश ने खुद माना है कि एनआरसी लागू किए जाने के बाद दो महीने में उसके 445 नागरिक घर लौटे हैं।
बांग्लादेशी अर्धसैनिक बल के प्रमुख ने गुरुवार (2 जनवरी) को कहा कि भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) के प्रकाशन के बाद बीते दो महीनों में 445 बांग्लादेशी नागरिक वापस आए हैं। बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (BGB) के महानिदेशक मेजर जनरल मोहम्मद शफीनुल इस्लाम ने एक प्रेस वार्ता के दौरान इन आँकड़ों का ख़ुलासा किया। उन्होंने बताया:
“भारत और बांग्लादेश से अवैध सीमा पार करने के लिए 2019 में लगभग 1,000 लोगों को गिरफ़्तार किया गया, जिनमें से 445 लोग नवंबर और दिसंबर में घर लौट आए थे।”
उन्होंने बताया कि स्थानीय प्रतिनिधियों द्वारा उनकी पहचान सत्यापित किए जाने के बाद, BGB को यह पता चला कि सभी घुसपैठिए बांग्लादेशी हैं। इस्लाम ने कहा कि इनके खिलाफ 253 मामले दर्ज किए गए हैं। सभी पर गैरकानूनी रूप से सीमा पार करने का मामला दर्ज किया गया है। प्रारंभिक जाँच में पाया गया है कि इनमें से कम से कम तीन मानव तस्कर थे।
पिछले हफ्ते इस्लाम ने भारत का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि NRC का मुद्दा पूरी तरह से भारत का “आंतरिक मामला” है और दोनों देशों की सीमा की रक्षा करने वाली सेनाओं के बीच सहयोग बहुत अच्छा है। उन्होंने कहा कि BGB अपने शासनादेश के अनुसार अवैध सीमा पार रोकने के अपने काम को जारी रखेगा। इस्लाम के नेतृत्व में BGB का प्रतिनिधिमंडल, सीमा सुरक्षा बल (BSF) के साथ डीजी-स्तरीय सीमा वार्ता के लिए भारत के द्विपक्षीय दौरे पर आया था।
Around 445 trespassers trying to return to Bangladesh detained in last two months: BGB DG
— ANI Digital (@ani_digital) January 3, 2020
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यह वार्ता 26-29 दिसंबर को हुई थी। इस दौरान सीमा पार से तस्करी और अपराधियों और अन्य लोगों की गतिविधियों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा हुई थी। एक सवाल के जवाब में, इस्लाम ने कहा, “सम्मेलन में (NRC) पर कोई चर्चा नहीं हुई थी।”
उन्होंने कहा कि नई दिल्ली में आयोजित पाँच दिवसीय वार्ता के दौरान, BGB ने माँग की कि BSF को बांग्लादेशियों की मोर्चे पर हत्या को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए क्योंकि 2019 में आकस्मिक आँकड़े तेज़ी से बढ़े हैं।
BGB प्रमुख ने कहा, “2019 में सीमा पर मृतकों की संख्या पिछले चार वर्षों में सबसे अधिक थी। हमारी गणना के अनुसार, ऐसी अप्रत्याशित मौतों की संख्या 35 थी।” डीजी स्तर की वार्ता के समापन के बाद नई दिल्ली में पिछले महीने BSF द्वारा जारी एक बयान में कहा गया:
“सीमाओं पर बांग्लादेशी नागरिकों की मौत के संबंध में BGB की चिंता पर, उन्हें यह सूचित किया गया कि सीमाओं पर BSF कर्मियों द्वारा एक गैर-घातक हथियार नीति का कड़ाई से पालन किया जाता है। फायरिंग का सहारा केवल आत्मरक्षा में लिया जाता है, जब BSF के गश्ती दल को घेरा जाता है और ‘दाह’ (तेज धार वाले हथियार) आदि से हमला किया जाता है। यह निर्दिष्ट किया गया था कि BSF राष्ट्रीयता के आधार पर अपराधियों के बीच भेदभाव नहीं करता है।”
इतना ही नहीं सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने पिछले साल मेघालय में भारत-बांग्लादेश सीमा से 10,000 से अधिक गायें ज़ब्त की गई हैं। एक अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी। इन मवेशियों की क़ीमत 16.86 करोड़ रुपए आँकी गई।
ख़बर के अनुसार, BSF ने 2019 में वैध दस्तावेज़ों के बिना देश में प्रवेश करने के लिए कुल 176 विदेशियों (अवैध) को गिरफ़्तार भी किया। BSF के एक प्रवक्ता ने बताया, “पिछले साल 31 दिसंबर तक मेघालय में BSF ने 10239 मवेशियों को ज़ब्त किया, जिनकी क़ीमत 16.86 करोड़ रुपए आँकी गई।”
BSF के एक प्रवक्ता ने कहा कि पिछले एक साल के दौरान गायों की लगातार ज़ब्ती से सीमा पर पशु तस्करी के प्रयास में भारी वृद्धि के संकेत मिले हैं। उन्होंने बताया कि मवेशियों को हाथ-पाँव और मुँह बाँधकर अधिकतर उन्हें ट्रकों में ले जाया जाता था।
अधिकारी ने इस बात का भी ज़िक्र किया कि राज्य पुलिस के साथ संयुक्त अभियान में BSF के जवानों ने 2019 में 3,665 की सँख्या में याबा टैबलेट नाम की प्रतिबंधित नशीली दवा भी बरामद की। उन्होंने कहा कि BSF ने पिछले एक वर्ष के दौरान शून्य रेखा से 20 लाख रुपए नकद भी ज़ब्त किए। उन्होंने बताया कि एक बांग्लादेशी के पास से 1 लाख रुपए मूल्य के नकली भारतीय नोट भी ज़ब्त किए गए।
पिछले दिनों बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमेन ने एनआरसी को भारत का आंतरिक मामला बताते हुए कहा था, ‘हम बांग्लादेशी नागरिकों को वापस आने की अनुमति देंगे, क्योंकि उनके पास अपने देश में प्रवेश करने का अधिकार है।’ उन्होंने कहा था कि बांग्लादेश-भारत के संबंध सामान्य और काफी अच्छे हैं और इस पर एनआरसी से कोई असर नहीं पड़ेगा।
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