नोबेल पुरस्कार विजेता 75 वर्षीय रोमन बिशप कार्लोस फिलिपे जिमेनेस बेलो पर यौन शोषण के आरोप लगे हैं, जिसकी जाँच अब वेटिकन करेगा। एक डच पत्रिका में उनके सेक्स स्कैंडल को लेकर रिपोर्ट प्रकाशित हुई है। बताया जा रहा है कि जब वो दक्षिण-पूर्वी एशियाई देश ईस्ट तिमोर में बतौर बिशप कार्यरत थे, तब की ये घटना है। उन पर 1980 और 90 के दशक में डिली में कई लड़कों का यौन शोषण करने के आरोप लगे हैं।
पत्रिका ने अपनी रिपोर्ट में कुछ पीड़ितों के बयान भी प्रकाशित किए हैं, जिन्होंने बताया कि बिशप कार्लोस फिलिपे जिमेनेस बेलो ने उनका यौन शोषण किया और बदले में पैसे दिए। ये पीड़ित तब किशोरावस्था में थे और काफी गरीब परिवारों से आते थे। पीड़ितों ने बताया कि वो इस बारे में बात करने को लेकर डरे हुए थे। ईस्ट तिमूर का ये कैथोलिक चर्च वहाँ के लोगों के बीच काफी सम्मानजनक है। जब मैगजीन ‘De Groene Amsterdammer’ ने इस संबंध में बात करने के लिए बिशप बेलो को कॉल किया तो उन्होंने फोन काट दिया।
एक पीड़ित ने कहा कि वो इस घटना को लेकर चर्च से और बिशप कार्लोस फिलिपे जिमेनेस बेलो से माफीनामा चाहता है। उसने कहा कि वो चाहता है कि ये घटना सबके सामने आए और आगे कोई सत्ता के नशे में चूर होकर इस तरह की यौन हिंसा न करे। उसने कहा कि जो पीड़ितों पर बीती, उस पर चर्च और आरोपित को अफ़सोस जताना चाहिए। वेटिकन के प्रवक्ता ने इस मामले पर ध्यान देने का आश्वासन दिया है। बेलो को 1996 में नोबेल पुरस्कार मिला था।
For years, Timor-Leste’s Nobel Peace Prize winner Bishop Carlos Filipe Ximenes Belo has been sexually abusing boys, survivors and others claim.https://t.co/tNxAOI53GW
— Evi Mariani (@evimsofian) September 28, 2022
एक 42 वर्षीय पीड़ित ने बताया कि तब बिशप ने उसे नंगा कर के उसके साथ ओरल सेक्स किया था। बिशप बेलो को नोबेल पुरस्कार देते हुए कहा गया था कि उन्होंने अहिंसक तरीके से अपनी मातृभूमि ईस्ट तिमोर पर इंडोनेशिया के 24 साल के कब्जे के खिलाफ अभियान चलाया। उनके साथ-साथ जोस रामोस होर्टा को भी ये पुरस्कार मिला था, जो फ़िलहाल ईस्ट तिमूर के राष्ट्रपति हैं। वो फ़िलहाल पुर्तगाल में रहते हैं। 1975-99 तक ईस्ट तिमोर में इंडोनेशिया का कब्ज़ा था और इस बीच भारी कत्लेआम हुआ।