सोमवार (26 अक्टूबर 2020) को पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने फ्रांसीसी दूत मार्क बरेटी (Marc Barety) को समन भेजा है। यह समन दो कारणों से भेजा गया था, पहला चार्ली हेब्दो के कार्टून का सार्वजानिक प्रदर्शन और कट्टरपंथी इस्लाम पर फ्रांस के राष्ट्रपति की टिप्पणी।
शाह महमूद कुरैशी चाहते हैं संयुक्त राष्ट्र का दखल
पाकिस्तानी विदेश कार्यालय के प्रवक्ता ज़हीद हफीज़ चौधरी द्वारा जारी किए गए बयान के मुताबिक़, फ्रांस के एम्बेसेडर को विशेष सचिव (यूरोप) की तरफ से एक फ़ाइल (dossier) दिया गया था और चार्ली हेब्दो मामले में पाकिस्तान की तरफ से असहमति की जानकारी भी दी गई थी। पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने इस मुद्दे पर कहा कि फ्रांस के राष्ट्रपति का बयान बेहद गैर ज़िम्मेदाराना था और ऐसे बयान से सिर्फ आग को हवा मिलेगी। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से निवेदन किया कि वह इस्लाम के विरुद्ध चलाए जा रहे नफ़रत भरे नैरेटिव का संज्ञान लें और आवश्यक कार्रवाई करें।
कुरैशी ने बताया कि वो ऑर्गेनाइजेशन ऑफ़ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC) के समक्ष प्रस्ताव पेश करेंगे कि 15 मार्च को इस्लामोफ़ोबिया के विरुद्ध अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाए। अंत में उन्होंने कहा, “किसी के पास यह अधिकार नहीं है कि वह अभिव्यक्ति की आज़ादी की आड़ में लाखों मुस्लिमों की भावनाओं को आहत करे।”
कुरान के अपमान पर विदेश मंत्रालय की निंदा
रविवार (25 अक्टूबर 2020) को पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने इस्लामोफ़ोबिया को बढ़ावा देने वाले विकसित देशों और कुरान का अपमान करने वालों की निंदा करते हुए बयान जारी किया। बयान में लिखा था, “कुछ राजनेता अपने सतही राजनीतिक फायदों के लिए अभिव्यक्ति की आज़ादी की आड़ में, इस तरह के जघन्य अपराधों को सही ठहराते हुए और आतंकवाद की इस्लाम से तुलना कर रहे हैं, यह बात हमारे लिए चिंता पैदा करती है।” इसके बाद बयान में यह भी कहा गया कि अभिव्यक्ति की आज़ादी के साथ कुछ ज़िम्मेदारी भी होती है, उसका ध्यान रखा जाना चाहिए।
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान का फ्रांस के राष्ट्रपति पर हमला
UNGA में दिए गए भाषण के वीडियो में सुना जा सकता है किस तरह इमरान खान फ्रांस में हुई घटना की निंदा नहीं करते हैं। इस वीडियो में वह कहते हैं, “पैगंबर हमारे दिलों में हैं, जब कोई उनकी निंदा करता है या उनका अपमान करता है तब दुःख होता है। हम इंसान एक बात अच्छे से समझते हैं कि शारीरिक कष्ट भावनात्मक कष्ट से कहीं ज़्यादा होता है। सिर्फ इसलिए मुस्लिम समुदाय के लोग इस बात पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। पश्चिमी देशों के लोग नहीं समझते हैं कि हमारे जज़्बात पैगंबर से किस तरह जुड़े हैं।” इसके बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने यहूदियों के नरसंहार की तुलना पैगंबर का अपमान किए जाने पर होने वाली पीड़ा से कर दी।
इस्लाम पूरी दुनिया में संकट में हैं
फ्रांस में शिक्षक का गला काटे जाने की घटना के पहले इस्लाम को लेकर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने अहम बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि फ्रांस अपनी धर्म निरपेक्षता को ध्यान में रखते हुए कट्टरपंथी इस्लामियों का सामना करेगा। इसके पहले भी इमैनुएल इस्लाम को कट्टरता और नफरत फैलाने वाला मज़हब बता चुके हैं।
विदेशी इमामों के प्रवेश पर प्रतिबंध का फ्रांस पहले ही ऐलान कर चुका है। मैक्रों ने इस साल की शुरुआत में कहा था, “हमने 2020 के बाद अपने देश में किसी भी अन्य देश से इमामों के आने पर रोक लगा दी है।” उन्होंने कहा था कि इस फैसले से फ्रांस में आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगेगी।
मैक्रों ने कहा, “इस्लाम एक ऐसा मज़हब है, जिस पर पूरी दुनिया में संकट है, ऐसा सिर्फ हम अपने देश में नहीं देख रहे हैं।” इसके बाद उन्होंने युवाओं की शिक्षा पर भी ज़ोर दिया, जिससे उन्हें धर्मनिरपेक्ष आदर्शों वाला बनाया जा सके। इसकी शिक्षा बच्चों को शुरुआती स्तर से या उनके स्कूल के समय से ही देनी होगी। उन्होंने इस बात के भी संकेत दिए कि फ्रांस इस्लाम को विदेशियों के प्रभाव से भी आज़ाद करेगा, इसके लिए मस्जिदों को मिलने वाली फंडिंग में सुधार किया जाएगा। इसके अलावा ऐसे स्कूल और संगठन जो समुदायों के लिए काम करते हैं, उन पर भी बराबर नज़र रखी जाएगी।”
फ्रांस के शिक्षक की गला काट कर हत्या
फ्रांस की राजधानी पेरिस में इतिहास के एक शिक्षक सैमुअल की सिर्फ इसीलिए हत्या कर दी गई थी, क्योंकि उन्होंने अभिव्यक्ति की आज़ादी की पढ़ाई के दौरान छात्रों को पैगम्बर मुहम्मद का कार्टून दिखाया था। इस हत्या को अंजाम देने वाला 18 साल के इस्लामी कट्टरपंथी युवक का नाम Abdoullakh Abouyezidovitch था। फ्रांस की पुलिस द्वारा मार गिराए जाने के पहले इस कट्टरपंथी आतंकवादी ने हत्या की खून से लथपथ तस्वीर ट्विटर पर साझा की थी।