Monday, December 23, 2024
Homeरिपोर्टअंतरराष्ट्रीय'गलवान में मरे थे हमारे सैनिक' - चीन ने 8 महीने तक छुपाया, पहली...

‘गलवान में मरे थे हमारे सैनिक’ – चीन ने 8 महीने तक छुपाया, पहली बार अब अपने 4 जवान को किया मरणोपरांत सम्मानित

“4 चीनी सैनिक जिन्होंने जून में हुए सीमा विवाद की वजह से अपनी जान गँवाई, उन्हें मरणोपरांत सम्मानित किया जा रहा है। एक कर्नल जिसने सैनिकों की अगुवाई की और वह गम्भीर रूप से घायल हुआ था, उसे भी सम्मानित किया जा रहा है।”

15 जून 2020 की रात चीन ने भारतीय सैनिकों पर कायरता पूर्वक हमला किया था और गलवान घाटी में घुसपैठ करके पूर्वी लद्दाख वाले क्षेत्र में यथास्थिति (status quo) बदलने का प्रयास किया था। इसके बाद वहाँ हिंसक झड़प हुई थी और भारतीय सेना के जवान चीनी सेना के जवानों को पीछे धकेलने में कामयाब रहे थे। इस दौरान 20 भारतीय जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे, वहीं चीन के 43 सैनिकों की मृत्यु हुई थी। 

इस घटना के बाद से ही चीन ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ‘डैमेज कंट्रोल’ करना शुरू कर दिया था। चीन ने अपने सैनिकों की मृत्यु और हताहत होने को लेकर तमाम झूठे दावे किए थे और भ्रमित करने वाला अभियान चलाया था। अब उसी चीन ने उन 4 सैनिकों को मरणोपरांत सम्मानित किया है, जो भारतीय सीमा में की गई घुसपैठ में शामिल थे। 

चीनी मीडिया समूह पीपल्स डेली (People’s Daily) के मुताबिक़, “4 चीनी सैनिक जिन्होंने जून में हुए सीमा विवाद की वजह से अपनी जान गँवाई, उन्हें मरणोपरांत सम्मानित किया जा रहा है। एक कर्नल जिसने सैनिकों की अगुवाई की और वह गम्भीर रूप से घायल हुआ था, उसे भी सम्मानित किया जा रहा है।” 

हालाँकि इसके पहले अगस्त 2020 में चीन ने डंके की चोट पर दावा किया था कि चीनी सैनिकों की मृत्यु नहीं हुई है। इसके पहले कई रिपोर्ट्स सामने आई थीं, जिनमें दावा किया गया था कि भारतीय जवानों के साथ टकराव में चीनी सैनिकों की जान गई थी। इसके बावजूद चीन लगातार पीपल्स लिबरेशन आर्मी के जवानों की मौत का संज्ञान नहीं ले रहा था।  

Massachusetts Institute of Technology के चीनी विशेषज्ञ एम टेलर फायलर के मुताबिक़ एक चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर 19 साल के चीनी सैनिक के मकबरे की तस्वीर वायरल हुई थी, जिसकी मौत ‘भारतीय-चीन सेना के बीच टकराव’ के दौरान हुई थी। उसके मकबरे पर लिखा था

“चेन जियांग्रो (Chen Xiangro) का मकबरा। फुजियान (fujian) स्थित पिंगनान (pingnan) की 69316 टुकड़ी का जवान। जून 2020 में भारतीय सीमा पर मौजूद जवानों के साथ हुई हिंसक झड़प में अपनी जान गँवाई। उसे मरणोपरांत सेंट्रल मिलिट्री कमीशन द्वारा याद किया जा रहा है।” 

मकबरे पर ये भी लिखा था कि सैनिक जो एक्शन में मर गया था (किल्ड इन एक्शन), वह दिसंबर 2001 में पैदा हुआ था यानी उसकी उम्र सिर्फ 19 साल थी। मकबरे में उसकी यूनिट के बारे में भी जानकारी दी हुई थी। 69316 यूनिट जो कि सीमा पर तैनात की जाती है और वो उत्तरी गलवान घाटी के नज़दीक स्थित टियानवेनडियान (Tianwendian) से आती है। इस तरह की तस्वीरें बताती हैं कि गलवान घाटी में चीनी सैनिक तैनात किए गए थे। 

इसके अलावा और भी रिपोर्ट्स सामने आई थीं, जिसमें इस तरह के दावे किए गए थे। भारत के तमाम वामपंथी मीडिया समूहों ने सच्चाई बयान करने वाली इन तस्वीरों का काउंटर किया था। चीन ने खुद इन तस्वीरों से किनारा कर लिया था।

अब चीन का अपने 4 सैनिकों को मरणोपरांत सम्मानित करना दिखाता है कि अनुमान से कहीं अधिक चीनी सैनिकों की मौत हुई। यानी गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं के बीच हुए टकराव में चीन के मृत सैनिकों की संख्या काफी ज़्यादा है।  

15 जून को चीनी सैनिकों ने लद्दाख सीमा पर एलएसी के पास भारतीय सेना के जवानों पर हमला कर दिया था। चीनी सेना की इस कायरता भरी हरकत के चलते 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे। केंद्र सरकार ने शहीदों को सम्मानित किया था और सरकारी प्रतिनिधियों की मौजूदगी में उनका अंतिम संस्कार किया गया था। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुद घायल सैनिकों से मुलाक़ात की थी।  

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

किसी का पूरा शरीर खाक, किसी की हड्डियों से हुई पहचान: जयपुर LPG टैंकर ब्लास्ट देख चश्मदीदों की रूह काँपी, जली चमड़ी के साथ...

संजेश यादव के अंतिम संस्कार के लिए उनके भाई को पोटली में बँधी कुछ हड्डियाँ मिल पाईं। उनके शरीर की चमड़ी पूरी तरह जलकर खाक हो गई थी।

PM मोदी को मिला कुवैत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ : जानें अब तक और कितने देश प्रधानमंत्री को...

'ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' कुवैत का प्रतिष्ठित नाइटहुड पुरस्कार है, जो राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को दिया जाता है।
- विज्ञापन -