साल 2020 के जनवरी माह में दूरदर्शन ने ताइवान राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन पर अपना एक स्पेशल शो ऑन एयर किया था। इस शो में उनसे जुड़ी कई बातें बताई गईं थी। इसी शो में यह भी बताया गया था कि त्साई ने चीन के ‘एक देश, दो सिस्टम’ मॉडल को खारिज कर दिया और अपनी जीत के बाद भाषण देते हुए अपने विरोध को दोहराया भी था।
13 जनवरी को हुए इस प्रोग्राम में दूरदर्शन ने ताइवान के प्रतिनिधि तीन चुंग-क्वांग को भी भारत आमंत्रित किया था। जिन्होंने ताइवान की स्वतंत्रता पर बात की और चीन के एक देश दो सिस्टम वाले मॉडल को खारिज किया। उन्होंने कहा कि चीन का सुझाया यह मॉडल कभी भी ताइवान के लोग नहीं स्वीकार करेंगे।
अब इसी बात से नाराज भारत में मौजूद चीनी एंबेसी ने दूरदर्शन को पत्र लिखा और प्रोग्राम प्रसारण पर अपना असंतोष जताया। सूत्रों के मुताबिक, भारत के चीनी एंबेसी ने 16 जनवरी 2020 को अपने एक ईमेल में दावा किया कि ताइवान की स्वतंत्रता को मंच प्रदान करके दूरदर्शन ने वन चाइना पॉलिसी का उल्लंघन किया है।
इस दौरान चीनी दूतावास ने दावा किया कि दुनिया में केवल एक चीन है और चीन की मुख्यभूमि और ताइवान दोनों ही चीन से संबंधित हैं। लेकिन चीनी दूतावास के असंतुष्ट होते हुए भी दूरदर्शन ने ताइवान पर अपना प्रसारण जारी रखा। फरवरी में दूरदर्शन ने चीन की आपत्ति जानने के बाद भी ताइवान के खास त्यौहार पर अपना प्रोग्राम किया। और फिर मार्च के बाद तिब्बत पर भी अपना एक विशेष कार्यक्रम चला दिया।
अपने तिब्बत वाले शो में दूरदर्शन ने भारत में निर्वासित तिब्बतियों पर कार्यक्रम किया। इस शो में उन्होंने भारत में तिब्बतियों का जीवन और अन्य राजनीतिक निहितार्थ बताए।
गौरतलब है कि ताइनवान पर कवरेज से बौखलाया चीन तिब्बत पर कुछ नहीं बोल पाया। ये दोनों ही यह वो क्षेत्र है, जिन पर चीन अपना दावा करता है। लेकिन तिब्बत के लोग और ताइवान के लोग उसे नहीं स्वीकार करना चाहते।
बता दें कि 1945 में दूसरे विश्व युद्ध के बाद चीन ने ताइवान पर नियंत्रण कर लिया था। हालाँकि, ताइवान ने इस दौरान चीनी नियमों को मानने से इंकार किया। लेकिन फिर भी चीन ने ताइवान पर अपना नियंत्रण जारी रखा। इसी प्रकार तिब्बत की बात करें तो चीन इसके पश्चिमी और मध्य भाग को नियंत्रित करता है, लेकिन तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के रूप में जाना जाता है।