कोरोना वायरस की उत्त्पत्ति को लेकर लगे गंभीर आरोपों के बावजूद चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। खबर है कि इस बार वो पाकिस्तान के साथ मिलकर रावलपिंडी के पास किसी गुप्त जगह जैव हथियारों पर परीक्षण कर रहा है। उसका उद्देश्य पैथोजन्स को जैव हथियारों में तब्दील करना है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार चीन के वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी और पाकिस्तान सेना द्वारा संचालित, रक्षा विज्ञान और प्रौद्योगिकी संगठन (डीएसटीओ) ने पाकिस्तान में घातक रोगजनकों पर अनुसंधान करने के लिए अत्यधिक उन्नत वैज्ञानिक बुनियादी ढाँचा स्थापित किया है।
रिपोर्ट के अनुसार, प्रतिष्ठान के सटीक स्थान का खुलासा नहीं किया गया है, क्योंकि इसे बड़े ही गुप्त तरीके से किया जा रहा है। शोध का शीर्षक ‘उभरते संक्रामक रोगों के लिए सहयोग और वेक्टर संचारण रोगों के जैविक नियंत्रण पर अध्ययन’ रखा गया है।
DNA की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान ने हालाँकि ऐसे सभी दावे खारिज कर दिए हैं। पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने कहा कि रिपोर्ट में जिस लेबोरेटरी को लेकर दावा किया गया है, वहाँ बायो-सेफ्टी लेवल-3 (BSL-3) को लेकर कुछ भी गोपनीय नहीं है। कार्यालय ने कहा कि यह लेबोरेटरी रावलपिंडी में चकलाला कैंटोन्मेंट (Chaklala cantt) एरिया में मौजूद है। यह एक बेहद सुरक्षित इलाका है और इस लेबोरेटरी का हेड 2 स्टार मिलिट्री जनरल को बनाया जाता है।
जैव हथियार विशेषज्ञों के अनुसार, पाकिस्तानी सेना के अधीन प्रयोगशाला और चीनी प्रयोगशाला के बीच यह गठजोड़ महज कोई वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य पैथोजन्स को जैव हथियारों में तब्दील करना है।
उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस आने के बाद भी कई मीडिया रिपोर्टों में यह दावा किया गया था कि कोरोना (कोविड-19) की उत्त्पति चीन में वुहान के ऐसे ही किसी लैब से हुई थी। धीरे-धीरे इस वायरस का प्रभाव पूरी दुनिया में खत्म हुआ लेकिन चीन अब भी इससे जूझ रहा है। वहाँ कई इलाकों से अमानवीय लॉकडाउन की खबरें आते रहती हैं।