भारतीय सेना से संघर्ष भड़काने वाले चीन ने अभी तक ये खुलासा नहीं किया है कि गलवान के हिंसक झड़प में उसके कितने सैनिक मारे गए। बता दें कि चीनी सैनिकों के धोखे की कार्रवाई में 20 भारतीय जवान वीरगति को प्राप्त हो गए थे। चीन के 43 सैनिकों के मारे जाने की बात सामने आई थी लेकिन अब तक उसने कोई आँकड़ा सार्वजनिक नहीं किया है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के इस निर्णय से मारे गए सैनिकों के ही परिवार नाराज़ हैं।
चीन की सरकार अब सैनिकों के परिजनों पर दबाव डाल कर चुप कराने में लगी हुई है, जिन्होंने भारत-चीन संघर्ष में अपनी जान गँवाई। अब उनके परिजन वेइबो सहित अन्य चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से अपना आक्रोश दिखाने में लगे हुए हैं। चीन सरकार के कुछ तबकों ने अपने अधिकारियों के मारे जाने की बात स्वीकारी है। चीन का मीडिया भी इस बात को मानता है, लेकिन वो आँकड़े नहीं रहा दे रहा।
चीन की सरकार की कथित गोपनीयता की नीति पर सैनिकों के परिवार आहत हैं और आवाज़ उठा रहे हैं, लेकिन न तो वहाँ का मीडिया उनकी सुन रहा है और न ही सरकार द्वारा उनके लिए कुछ किया जा रहा है। उलटा उन्हें चुप कराने की कोशिशें हो रही है। इससे पता चलता है किस चीन अपने ही देश के लिए जान देने वाले सैनिकों की और उनके परिजनों की कोई कदर नहीं करता है।
The families of Chinese troops were outraged by the fact that unlike Indian soldiers, their martyrs in Ladakh have received no honor & no recognition. So CCP regime’s propaganda platform @globaltimesnews is now doing damage control. @ians_india reports:https://t.co/kdhg1kVC3S
— Aarti Tikoo Singh (@AartiTikoo) June 25, 2020
इससे पहले केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह ने गलवान घाटी संघर्ष को लेकर जानकारी दी थी कि इस झड़प में चीन के दोगुने सैनिक मारे गए थे। उन्होंने कहा था कि हमारे 20 सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए हैं तो चीन के इससे ज्यादा सैनिक मारे गए। लेकिन चीन कभी भी सार्वजनिक रूप से इस बात को स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने ध्यान दिलाया था कि चीन में हर चीज छुपाई जाती है। हमारे सैनिकों ने बदला लेकर बलिदान दिया है।
उन्होंने खुलासा किया था कि भारत ने चीन के कई सैनिकों को पकड़ा था, लेकिन बाद में उन्हें छोड़ दिया गया। ‘एबीपी न्यूज़’ को इंटरव्यू देते हुए उन्होंने ऐसा कहा। जनरल सिंह ने कहा कि पिछले सप्ताह गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच हुए संघर्ष के दौरान ऐसा हुआ था। हालाँकि, चीन की तरफ से इस बारे में कुछ नहीं कहा गया है। अब उन सैनिकों के परिजनों को चुप कराने वाली ख़बर के बाद ये बात सच साबित होती दिख रही है।