गलवान में हुए खूनी संघर्ष में कई चीनी सैनिकों के मारे जाने की खबर तो आज से 8 महीने पहले ही आ गई थी, लेकिन भारत में बैठे चीन के टट्टुओं और खुद चीन ने इससे इनकार कर दिया था। अब जब पर्दा हटा है और चीन ने इस संघर्ष में मारे गए PLA (पीपल्स लिबरेशन आर्मी) के सैनिकों को सम्मान देना शुरू किया है, तो चीनी बौखला गए हैं। चीनी नागरिक भारत विरोधी गालियाँ बक रहे हैं और भारतीय दूतावास को निशाना बनाया जा रहा है।
चीन की सोशल मीडिया में भारत के खिलाफ अपशब्दों की बाढ़ आ गई है और कई घृणास्पद संदेश प्रसारित किए जा रहे हैं। चीन ने स्वीकार किया है कि गलवान की झड़प में उसके 4 सैनिकों की जान गई थी और 1 रेस्क्यू के दौरान मर गया था। बीजिंग में भारतीय दूतावास है और वहाँ की सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर उसका हैंडल भी है, जिसे टैग कर के चीनी अपशब्दों का प्रयोग कर रहे हैं और अपनी खीझ निकाल रहे हैं।
गलवान के संघर्ष में भारत के 20 सैनिकों ने बलिदान दिया था। चीन के सैनिकों की मौत का आँकड़ा कहीं ज्यादा होने का अनुमान लगाया गया था, लेकिन अब तक उसने 5 के मरने की पुष्टि की है – वो भी 8 महीने बाद। चीन के नागरिकों में इस खबर के सामने आने के बाद भारत-विरोधी भावनाएँ उबाल मार रही हैं और कट्टर चीनी लोगों को भड़काने में लगे हुए हैं। भड़काऊ संदेशों के जरिए भारत को भला-बुरा कहा जा रहा है।
गलवान में मारे गए चीनी सैनिकों की तस्वीरों को सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा है। साथ ही चीनी नागरिक तीखी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। ये स्थिति इसलिए है, क्योंकि पिछले कई वर्षों में किसी चीनी नागरिक ने अपने सैनिकों के किसी दूसरे देश के साथ संघर्ष में मारे जाने की ख़बरें नहीं सुनी थी। चीन के शैक्षणिक संस्थानों में उन सैनिकों के लिए श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जा रहा है और भारत विरोधी भाषण हो रहे हैं।
ऐसा नहीं है कि विरोध सिर्फ भारत का हो रहा है। चीन की सरकार और PLA भी वहाँ के युवाओं के निशाने पर है। नानजिंग से एक व्यक्ति को PLA पर टिप्पणी करने के कारण गिरफ्तार किया गया। वहाँ के लोग कम्युनिस्ट पार्टी से पूछ रहे हैं कि उसने इतने दिनों तक ये बात क्यों छिपाई? पार्टी मुखपत्र ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने सरकार का बचाव करने का बीड़ा उठाते हुए कहा है कि उस समय सीमा पर स्थिरता के लिए ये आवश्यक था।
#China detains its citizen for uploading #GalwanValley videos saying they are fake and demean PLA soldiers pic.twitter.com/B4l6nVUZNG
— Neeraj Rajput (@neeraj_rajput) February 20, 2021
उसने कहा है कि हताहतों के आँकड़े छिपाए गए, क्योंकि उस समय स्थिति के अनुकूल यही था और अब उन ‘नायकों’ को सम्मान देने के लिए जानकारी सार्वजनिक की गई है। ‘ग्लोबल टाइम्स’ का कहना है कि चीनी युवाओं के लिए सैनिकों का मरना नई बात है, क्योंकि 1995 के बाद जन्में युवाओं ने इससे पहले इस तरह की खबर नहीं देखी। इस खुलासे के कारण वहाँ के लोग झल्लाए हुए हैं। चीन को दशकों में पहली बार करारा जवाब मिला है।
दरअसल यह गुस्सा सिर्फ सैनिकों को लेकर नहीं है। बाजार संबंधित भी है। भारत में चीनी एप्स के प्रतिबंधित होने के बाद उनका शेयर 29% गिरा है। जहाँ चीनी एप्स के इन्स्टॉल्स का शेयर 38% हुआ करता था, वहीं 2020 में ये मात्र 29% ही रह गया है। वहीं इसका फायदा भारतीय एप्स को मिला, जिनका वॉल्यूम 39% हो गया। इजरायल, यूएस, रूस और जर्मनी के एप्स को भी फायदा हुआ। भारत में इन चीनी एप्स के प्रतिबंधित होने से उनके बाजार पर भी बुरा असर पड़ा है।
बता दें कि चीनी सैनिकों के कब्र की तस्वीर वायरल होने के ठीक बाद AltNews ने उन सैनिकों की कब्रों का फैक्ट चेक किया था, जो गलवान घाटी संघर्ष के दौरान मारे गए थे। लेख की हेडलाइन में लिखाथाहै, “इंडिया टुडे ग्रुप, टाइम्स नाउ ने पीएलए कब्रिस्तान की पुरानी तस्वीरों को गलवान में मारे गए चीनी सैनिकों की कब्रों के रूप में दिखाया है।” इस लेख को प्रतीक सिन्हा, मोहम्मद जुबैर और उनके एक अन्य प्रोपेगेंडाबाज ने लिखा था।