म्यांमार में तख्तापलट के बाद से स्थिति लगातार चिंताजनक बनी हुई है। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस पूरे घटनाक्रम के पीछे चीन का हाथ है। इसी गुस्से में उन्होंने हलिंगथैया (Hlaingthaya) में रविवार (मार्च 14, 2021) को चीनी फैक्ट्री को आग के हवाले कर दिया व अन्य जगहों पर भी अपना गुस्सा जाहिर किया।
उक्त घटना के बाद सेना ने खूँखार रूप दिखाते हुए 22 लोगों को गोलियों से भून डाला। वहीं 16 लोगों की मांडले (Mandalay) और बागो ( Bago) जैसी जगहों पर संघर्ष में जान गई। कुल मिलाकर कल 38 लोग मारे गए। बता दें कि तख्तापलट के बाद से अब तक 126 लोग मारे जा चुके हैं। शनिवार तक सेना का विरोध करने पर 2,150 लोगों को हिरासत में लिया जा चुका था।
चीन ने हिंसक प्रदर्शनकारियों को सजा देने के लिए की अपील
चीन ने भी प्रदर्शनकारियों का गुस्सा देखते हुए सेना से जरूरी कदम उठाने और हिंसक भीड़ को कानून के मुताबिक सजा देने को कहा है। साथ ही म्यांमार में अपने लोगों और अपनी कंपनियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील भी की है।
यांगून में चीनी दूतावास पर लगातार प्रदर्शन कर रहे लोगों को शक है कि उनके देश में हुई सियासी उथल-पुथल को बीजिंग का समर्थन है। रविवार को चीन ने म्यांमार के प्रदर्शनकारियों से अपनी माँगों को वैध तरीके से व्यक्त करने और चीन के साथ द्विपक्षीय संबंधों को कमजोर न करने की अपील की।
यहाँ जानकारी के लिए बता दें कि यांगून में जहाँ नाराज प्रदर्शनकारी अपना गुस्सा दिखाते हुए फैक्ट्रियों में आग लगा रहे हैं। वहाँ की कई कंपनियों में चीन का निवेश है। इनमें ज्यादातर कपड़ों की फैक्ट्रियाँ हैं। चीन दूतावास का कहना है कि उनकी टेक्सटाइल इंडस्ट्री के कारण 4 लाख जॉब म्यांमार को मिलती है। यदि यही सब हुआ तो इससे म्यांमार के लोगों को भी नुकसान होगा।
चीनी रिपोर्ट के मुताबिक कम से कम 10 फैक्ट्रियाँ प्रदर्शनकारियों के गुस्से का शिकार हुईं। ग्लोबल टाइम्स ने बताया कि ये उन कंपनियों की संख्या है, जिन्हें क्षतिग्रस्त किया गया या आग के हवाले किया गया।
लागू हुआ मार्शल लॉ
समाचार चैनल MRTV के अनुसार, म्यांमार में सैन्य टुकड़ी ने खूनी खेल के बाद, शहर के सबसे बड़े जिलों में से एक, हलिंगथैया में मार्शल लॉ लागू कर दिया है। वहीं स्थानीय मीडिया ने बताया कि यांगून के श्वेपीथर जिले में भी मार्शल लॉ घोषित किया गया है।
सोमवार को सेना ने उत्तरी डगन, उत्तर ओक्कलपा, दक्षिण डगन और डगन सेइकान के चार और यांगून टाउनशिप में मार्शल लॉ घोषित किया। इन सभी जगह शहर के अधिकांश कारखाने स्थित हैं। इस लॉ के अनुसार, सैन्य कमांडर को चिह्नित जिलों में पूर्ण प्रशासनिक अधिकार दिया जाता है। म्यांमार की ऐसी स्थिति पर Mahn Win Khaing Than का कहना है कि ये राष्ट्र के लिए सबसे काला पल है और ये वही क्षण है जब उजाला जल्द होगा। मालूम हो कि सेना के पास सत्ता जाने से पहले Mahn म्यांमार की संसद के अपर हाउस में स्पीकर थे।
बता दें कि चीन द्वारा सैन्य तानाशाही को समर्थन देने से नाराज प्रदर्शनकारियों ने हेलिंगथया में चीनियों की तीन गारमेंट फैक्टरी भी जलाई है। प्रदर्शनकारियों ने चीन को जा रही प्राकृतिक गैस की पाइपलाइन उड़ाने की भी धमकी दी है। कई जगह चीन के खिलाफ नारेबाजी की गई, जिससे वहाँ रहने वाले चीनी डर गए। चीनी दूतावास ने सैन्य सरकार से अपने नागरिकों और उनकी संपत्तियों की रक्षा का आग्रह किया है।
वहीं संयुक्त राष्ट्र के महासचिव की विशेष दूत क्रिस्टीन श्रानेर बर्गनर ने हिंसा की निंदा की। उन्होंने कहा कि म्यांमार में हत्या, प्रदर्शनकारियों के साथ बर्बरता और यातनाओं की खबरें लगातार मिल रही हैं। इसके खिलाफ सभी को एकजुट होने की जरूरत है। हम उन क्षेत्रीय नेताओं और सुरक्षा परिषद के सदस्यों के साथ संपर्क में हैं, जो म्यांमार के हालात को सुधारने के प्रयास में लगे हुए हैं।
गौरतलब है कि म्यांमार में 1 फरवरी की आधी रात तख्तापलट कर दिया गया था। वहाँ की लोकप्रिय नेता और स्टेट काउंसलर आंग सान सू की और राष्ट्रपति विन मिंट समेत कई नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके बाद से ही पूरे देश में इसके खिलाफ विरोध-प्रदर्शन चल रहे हैं।