चीनी सेना की एक स्पोर्ट्स टीम को अंतरराष्ट्रीय मिलिट्री वर्ल्ड गेम्स से बेईमानी के आरोप में डिसक्वालिफाई कर दिया गया। यही नहीं, आरोपित एथलीटों को और भी प्रतियोगिताओं में भाग लेने से भी प्रतिबंधित कर दिया गया है। और मज़े की बात यह है कि ये गेम्स चीन के वुहान में ही आयोजित हुए थे। इनके प्रारम्भ के समारोह में अनावरण खुद राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने किया था।
Pakistan Army participated the 7th Military World Games In October 18–27 in Wuhan, capital of Hubei Province of China. President Xi Jinping attended the inauguration creremony. Pakistan delegates were warmly welcomed. pic.twitter.com/GPy4qRAzz9
— Lijian Zhao 赵立坚 (@zlj517) October 19, 2019
A cheating Chinese orienteering team was disqualified after losing its moral compass and using secret paths and markings during the Military World Games in China. https://t.co/P89oPCy6ER
— INQUIRER Sports (@INQUIRERSports) October 24, 2019
इसी महीने (20 अक्टूबर, 2019 को) हुए ओरिएंटियरिंग नामक स्पर्धा की प्रतियोगिता में प्रतिभागी एथलीटों को केवल एक नक्शे और दिशा सूचक यंत्र (कम्पास) के ज़रिए मध्यम दूरी की दौड़ पूरी करनी थी। चीनी महिला एथलीटों को पहली, दूसरी और चौथी पोज़िशन प्राप्त हुई थी, वहीं चीनी पुरुष धावक दूसरे नंबर पर आया था। इन खेलों का आयोजन चीन में 18 अक्टूबर, 2019 से 27 अक्टूबर, 2019 के बीच हो रहा था।
लेकिन जल्दी ही पता चल गया कि मेजबान चीनी टीम के एथलीटों ने बेईमानी की थी- वह भी कई-कई तरीकों से। न केवल उन्होंने दर्शकों से स्पर्धा के दौरान अवैध सहायता प्राप्त की, बल्कि रास्ते में कई सारे छोटे निशान बने थे जिनके बारे में केवल वे जानते थे (अतः जिनके चलते वे अनुचित लाभ की स्थिति में थे)। इसके अलावा उन्होंने दौड़ के नियत ट्रैक से इतर छोटे रास्तों (शॉर्टकट) का इस्तेमाल किया था- इनके बारे में भी केवल उनकी टीम को ही पता था।
यह सब बातें बाहर आने के बाद उनके प्रतिद्वंद्वी टीमों ने इंटरनेशनल ओरिएंटियरिंग फेडरेशन, जिसके नियमों के अंतर्गत यह स्पर्धा हो रही थी, से शिकायत की। आईओएफ के अधिकारियों ने मामले की जाँच की और आरोपितों को दोषी पाया, जिसके बाद उनके नतीजे कैंसिल कर दिए गए। यही नहीं, दोषी पाए गए एथलीटों को बाकी रेसों में भाग लेने से भी रोक दिया गया। आयोजकों ने चीनी एथलीटों की अपील भी ख़ारिज कर दी।
ज़ाहिर तौर पर शर्मिंदा सरकार के द्वारा चलाए जाने वाले चीनी मीडिया ने इस मामले पर बहुत व्यापक रिपोर्टिंग नहीं की है। इसके उलट टीम की जीत का चीनी मीडिया में ज़ोर शोर से प्रचार हुआ था।