अब संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने भी भारतीय निर्वाचन आयोग की तारीफ की है। अमेरिका ने कहा है कि लोकसभा चुनावों में जिसकी भी विजय हो, उसे भारत में हुए ताज़ा चुनावों की पवित्रता और निष्पक्षता पर पूरा भरोसा है। अमेरिका ने कहा है कि वो नई सरकार के साथ कार्य करने के लिए पूरी तरह तैयार है, चाहे जो भी प्रधानमंत्री बने। अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट के प्रवक्ता मॉर्गन ओर्टागस ने कहा, “मैं संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के नजरिए से कहना चाहूँगा कि हमें भारत में हुए लोकसभा चुनाव की निष्पक्षता और पवित्रता पर पूरा विश्वास है। यह स्पष्ट है कि जिसकी भी विजय हो या फिर जो भी परिणाम आएँ, हम नई सरकार के साथ कार्य करेंगे।“
बाकी देशों की तरह अमेरिका अपने चुनाव पर्यवेक्षकों को भारत नहीं भेजता क्योंकि उसे भारतीय निर्वाचन आयोग की स्वतन्त्रता और विश्वसनीयता पर पूरा विश्वास है। भारत को अपना सच्चा रणनीतिक साझेदार बताते हुए अमेरिका ने कहा कि सिर्फ़ एक क्षेत्र में नहीं, बाकि कई क्षेत्रों में अमेरिका और भारत के रिश्ते काफ़ी प्रगाढ़ हैं। अमेरिका ने कई मुद्दों पर भारत का पार्टनर होने की बात कही। अमेरिका ने कहा कि आज विश्व में जो कुछ भी चल रहा है, कुछ देर ठहर कर भारत पर बात करनी चाहिए। ‘द वाशिंगटन पोस्ट’ ने हाल ही में लिखा था कि भारत का चुनाव विश्व की सबसे व्यापक और विशाल लोकतान्त्रिक प्रक्रिया है।
इस बार के चुनाव में पिछली बार के मुकाबले 8 करोड़ मतदाताओं की वृद्धि हुई है। 2014 में 55 करोड़ लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। इंटरनेशनल स्टडीज थिंक टैंक में कार्यरत एक विशषज्ञ के मुताबिक नई सरकार को अमेरिका के साथ रिश्तों को आगे बढ़ाने में कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अमेरिका के साथ गुपचुप तरीके से ट्रेड वॉर में आगे बढ़ने की कोशिश करनी चाहिए और साथ ही सिक्यॉरिटी जैसे मुद्दों पर संबंधों को तेज़ी से आगे बढ़ाना चाहिए। इसे ड्यूल ट्रैक एप्रोच का नाम दिया गया है।
#ElectionsWithHT | US says it is confident about fairness, integrity of Indian electionshttps://t.co/WbcwoWB52m#LokSabhaElections2019#Elections2019 pic.twitter.com/oNVBM5mwuU
— Hindustan Times (@htTweets) May 23, 2019
हाल ही में मोदी सरकार ने कस्टम ड्यूटी की बढ़ोतरी करने के साथ-साथ गवर्नमेंट प्रोक्योरमेंट में बदलाव किया है। अगली सरकार द्वारा कुछ नर रिफॉर्म्स लाए जाने कि उम्मीद है और कहा जा रहा है कि अगली सरकार इम्पोर्ट बढ़ाने से ज्यादा विदेशी निवेश आकर्षित करने में ज्यादा जोर देगी। ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी ने इस बार हिन्दू दक्षिणपंथी मुद्दों पर चुनाव लड़ा है और जनता नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा पिछले पाँच वर्षों में किए गए कामकाज पर अपना निर्णय देगी।
वाशिंगटन पोस्ट का मानना है कि भारत अभी चीन से प्रतिस्पर्धा कर रहा है और इसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर में भारी निवेश की ज़रूरत है। प्रधानमंत्री मोदी को हिन्दुत्ववादी नेता बताते हुए अमेरिकी वेबसाइट ने लिखा कि यह चुनाव भारत का भविष्य तय करेगा। वहीं ‘वाल स्ट्रीट जर्नल’ का कहना है कि निवेशक इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं हैं कि मोदी का कौन सा रूप प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठेगा- निवेश को आकर्षित करने वाला या बाँटने वाला? अमेरिकी वेबसाइटों ने नरेन्द्र मोदी को व्यापार और उद्योग फ्रेंडली तो बताया है लेकिन वे उनके हिन्दुत्ववादी होने की चर्चा करना नहीं भूलते।