Wednesday, November 6, 2024
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पाकिस्तान में ईसाई लड़के को सज़ा-ए-मौत: मैसेज में पैगंबर के अपमान का आरोप, पिता को ‘गॉड’ पर भरोसा

नौमान मसीह के खिलाफ 4 साल पहले शिकायत दर्ज हुई थी। अदालत ने नौमान को मैसेजिंग एप पर इस्लाम विरोधी सामग्री भेजने का दोषी पाया है। बहावलपुर की जिला अदालत से इस सजा का ऐलान किया और मौत की सजा के साथ नौमान पर 20 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया।

अल्पसंख्यकों के लिए नर्क कहे जाने वाले इस्लामिक मुल्क पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोप में एक ईसाई लड़के को मौत की सजा सुनाई गई है। सजा पाए दोषी का नाम नौमान मसीह है जिसकी उम्र 22 साल है। नौमान मसीह के खिलाफ 4 साल पहले शिकायत दर्ज हुई थी। अदालत ने नौमान को मैसेजिंग ऐप पर इस्लाम विरोधी सामग्री भेजने का दोषी पाया। बहावलपुर की जिला अदालत से इस सजा का ऐलान मंगलवार (30 मई 2023) को हुआ। मौत की सजा के साथ नौमान पर 20 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मामला पाकिस्तान के बहावलपुर का है। लाहौर से लगभग 400 किलोमीटर दूर इस्लमी कॉलोनी के रहने वाले नौमान मसीह पर 4 साल पहले मुस्लिमों के पैगंबर मोहम्मद की निंदा करने का आरोप लगा था। 1 जुलाई 2019 में नौमान को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। उसकी गिरफ्तारी तब हुई जब वह एक पार्क में सो रहा था। नौमान की गिरफ्तारी से 1 दिन पहले पुलिस ने उसके चचेरे भाई सनी वकास को ईशनिंदा के आरोप में हिरासत में लिया था। थोड़े समय के बाद सनी वकास को अदालत ने जमानत दे दी थी।

पाकिस्तान की पुलिस ने कोर्ट में नौमान को सजा दिलाने के लिए तमाम सबूत पेश किए। इन सबूतों में नौमान के मोबाइल से निकालकर कुछ संदेश दिखाए गए जो पैगंबर मोहम्मद को लेकर किए गए थे। गिरफ्तारी के समय नौमान का मोबाइल पुलिस ने जब्त कर लिया था। पाकिस्तानी पुलिस ने उस पर 295- C की धारा लगाई थी। इस धारा में मौत की सजा का प्रावधान है। यह मामला अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश मोहम्मद हफीज उर रहमान खान की अदालत में सुना गया था।

मौत की सजा पाए नौमान मसीह के परिजनों ने इस फैसले पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने नौमान को बेगुनाह बताया है। नौमान के पापा असगर मसीह के मुताबिक पुलिस ने उनके बेटे को फँसाया है। सजा के बाद अपना और अपनी पत्नी का दिल टूट जाने की बात करते हुए असगर मसीह ने गॉड पर भरोसा होने और अपने बेटे के सही सलामत वापस आने की उम्मीद जताई है। वहीं पाकिस्तान के मानवाधिकार कार्यकर्ता इलियास सैमुअल ने इस फैसले को दोषपूर्ण बताते हुए इसे हाईकोर्ट में चुनौती देने की बात कही है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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