डेनमार्क ने अपनी सीमाओं पर सुरक्षा सख्त करने का फैसला किया है। ऐसा कुरान जलाए जाने की हालिया घटना के बाद उपजे सुरक्षा के खतरों को देखते हुए किया गया है। इससे पहले स्वीडन ने भी अपनी नागरिकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इसी तरह का फैसला लिया था। दोनों देशों में हाल में कुरान जलाने की कई घटनाएँ हुई है।
डेनमार्क के न्याय मंत्रालय ने कहा है कि हाल ही में कुरान जलाने के बाद सुरक्षा स्थिति प्रभावित हुई है। इसके बाद डेनिश पुलिस सीमा पर नियंत्रण सख्त कर रही है। डेनिश मंत्रालय ने गुरुवार (3 अगस्त, 2023) देर रात एक बयान में कहा, “विशिष्ट और वर्तमान खतरों को देखते हुए अधिकारियों का मानना है कि डेनमार्क की सीमा में कौन प्रवेश कर रहा है, इस पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है।” इसको ध्यान में रखते हुए 10 अगस्त, 2023 तक सख्त सीमा नियंत्रण लागू किया गया है।
अलजजीरा की रिपोर्ट के अनुसार, डेनमार्क और स्वीडन में इस्लाम विरोधी एक्टिविस्टों ने हाल के महीनों में कुरान की कई प्रतियों को विरोध-प्रदर्शनों में जला दिया था। इससे मुस्लिम बहुल देशों में आक्रोश भड़क गया है और ऐसे कृत्यों पर प्रतिबंध लगाने की माँग हो रही है। मुस्लिम देशों के आक्रोश को देखते हुए स्वीडन, डेनमार्क सहित कई देश सुरक्षा को पैदा हुए खतरों की समीक्षा में लगे हैं। इसी कड़ी में डेनमार्क ने आने वाले लोगों को अधिक जाँच के साथ सीमा में प्रवेश देने एवं सख्त सुरक्षा-व्यवस्था का निर्देश दिया है। दोनों देशों ने मुस्लिमों के आक्रोश को थामने के लिए कुरान जलाए जाने की निंदा भी की है। साथ ही इस बात का आश्वासन दिया है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए नए कानूनों पर विचार किया जाएगा।
इस तरह की भी खबरें हैं कि स्वीडन और डेनमार्क के नागरिक ऐसे किसी कानून के विरोध में हैं। उनका मानना है कि इससे संविधान में संरक्षित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार कमजोर होगा। इससे पहले स्वीडन के प्रधानमंत्री उल्फ क्रिस्टरसन ने कहा था कि उनके देश में ऐसा कोई कानून नहीं है जो कुरान या अन्य मजहबी किताबों को जलाने या उनका अपमान करने से रोकता हो। लेकिन हर वह चीज जो कानूनी तौर पर जायज है, उसे उचित नहीं ठहराया जा सकता। इस तरह की घटना भले कानूनी तौर पर सही हो पर भयावह हैं।